Punjab Haryana High Court Takes Tough Stand On Investigation Was Not Monitored Properly In Sirsa – Amar Ujala Hindi News Live

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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सिरसा में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अभी तक एसपी तैनात रहे अधिकारियों ने इन मामलों की सही प्रकार निगरानी नहीं की है। ऐसे में 2015 से अभी तक एसपी रहे सभी अधिकारियों के नाम और उनके कार्यकाल का ब्योरा सौंपने का हाईकोर्ट ने सिरसा के एसपी को आदेश दिया है। साथ ही उन्हें अगली सुनवाई पर अदालत में रहने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट के समक्ष 2016 में दर्ज एक एफआईआर में गिरफ्तारी से बचने के लिए दाखिल विजय कुमार सिंह की अग्रिम जमानत याचिका पहुंची थी। एडवोकेट आदित्य सांघी के माध्यम से दाखिल याचिका में बताया गया कि 8 साल पुरानी एफआईआर में पुलिस याची को गिरफ्तार करना चाहती है। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सिरसा के एसपी से पूछा था कि ऐसा कौन सा सबूत उनके हाथ लगा है जिसके आधार पर पुलिस उसे गिरफ्तार करना चाहती है।
साथ ही यह भी कि सिरसा के सभी पुलिस थानों में ऐसे कितने मामले हैं जिनकी जांच 3 वर्ष से अधिक समय से लंबित है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार एसपी ने हलफनामा सौंपते हुए 124 मामले लंबित होने की जानकारी दी। इस हलफनामे पर हैरानी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में ऐसे मामले मौजूद हैं जिनमें जांच कई साल से विचाराधीन है। ऐसे मामलों की भी लंबी कतार है जिसमें आरोपी कई वर्षों से गिरफ्तार नहीं हुए और बावजूद इसके उन्हें भगोड़ा घोषित नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने सिरसा पुलिस को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया और पूछा कि आखिर क्यों आरोपियों की गिरफ्तारी बीते कई वर्षो से नहीं हुई है।
हाईकोर्ट ने अब सिरसा के एसपी से इन 124 मामलों की स्टेटस रिपोर्ट तलब कर ली है। इसके साथ ही जिन मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी सालों से नहीं हुई है और जिनमें ऑफिशियल रिकॉर्ड प्राप्त नहीं किया गया है उनमें जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ब्योरा तलब कर लिया है। कोर्ट ने माना कि बीते वर्षों में एसपी रहे अधिकारी जांच की निगरानी सही प्रकार से नहीं कर पाए। ऐसे में हाईकोर्ट ने 1 जनवरी 2015 से अभी तक के सभी एसपी और उनके कार्यकाल का ब्योरा भी सौंपने का आदेश दिया है।
पिछली सुनवाई पर लगाई थी फटकार
हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने, भगोड़ा करार न देने व उनकी संपत्ति कुर्क न करने को पुलिस अधिकारियों व अपराधियों के बीच सांठगांठ का नतीजा माना था। हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों की जांच में देरी, देरी का संतोषजनक कारण न मिलने और केस की सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर सिरसा के एसपी को तलब कर लिया था।

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