राजस्थान में कांग्रेस सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान हुई सरकारी नौकरियों की भर्तियों को लेकर अब कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। पिछले पांच सालों में हुई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकली उम्मीदवार और फर्जी डिग्रियों जैसे गंभीर मामले सामने आए हैं। इसी वजह से राज्य सरकार ने इन सभी भर्तियों की गहराई से जांच करवाने के आदेश दिए।
6 जून 2024 को एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने सभी सरकारी विभागों को आदेश दिया कि वे इन सालों में नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के दस्तावेज दोबारा जांचें। जब आवेदन पत्र, फोटो, हस्ताक्षर और परीक्षा हॉल की वीडियोग्राफी की जांच की गई, तो सैकड़ों उम्मीदवारों में गड़बड़ी पाई गई। इनमें से 297 मामलों में फर्जीवाड़ा मिला और 65 मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। ये सभी लोग फिलहाल अलग अलग सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं, लेकिन इन पर धोखाधड़ी से नौकरी पाने का आरोप है।
दिसंबर 2023 में बीजेपी सरकार आने के बाद इन मामलों की जांच के लिए एक विशेष टीम (SIT) बनाई गई थी। SIT की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सब इंस्पेक्टर, वनरक्षक, पटवारी, शिक्षक, एलडीसी और लैब सहायक जैसी भर्तियों में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुई थीं। अब तक 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और अब इन फर्जी तरीकों से नौकरी पाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है।
एसओजी के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के तहत 40 से ज्यादा जांच टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें उन कर्मचारियों के दस्तावेज, फोटो, परीक्षा के वीडियो और दूसरे सबूतों की गहराई से जांच कर रही हैं। जिन 65 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनकी फोटो और हस्ताक्षर परीक्षा वाले दिन के रिकॉर्ड से नहीं मिल रहे हैं। इससे यह साफ हो गया है कि इनकी जगह किसी और को परीक्षा में बैठाया गया था, यानी डमी कैंडिडेट इस्तेमाल किए गए।
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एफआईआर में जिन कर्मचारियों के नाम शामिल हैं, उनमें शामिल हैं: अजमल मीना, मनराज मीना, नवीन कुमार नेहरा, खुशराज सिंह मीना, मुकेश कुमार चौधरी, विजय कुमार मीना, सुरेश कुमार, ओमप्रकाश, मनोहर लाल, श्रवण कुमार, अरुण कुमार विश्नोई, रावताराम, ओमप्रकाश विश्नोई, अनोप राम विश्नोई, बलवंत सिंह, कैलाश कुमार, अनिल कुमार, दीपा राम, प्रमा बाई, पिंकी कुमारी, राजूराम सारण, विक्रम सिंह, रूपेन्द्र सिंह चौधरी, नरेश प्रताप, सुनील विश्नोई, रिडमल राम, पाबूराम विश्नोई, सुशीला, मनोज कुमार और दिनेश सारण।
एसओजी का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाएगा। सरकार का कहना है कि आगे से ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और मजबूत बनाया जाएगा।

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