Rajasthan News: Bearing The Brunt Of Loss Of 11 Seats, Cp Joshi Became The Victim, Now Who Will Be Next? – Amar Ujala Hindi News Live

राजस्थान
– फोटो : अमर उजाला
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कल देर रात आदेश जारी कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने न सिर्फ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के स्थान पर मदन राठौड़ को नियुक्त किया बल्कि पूरे प्रदेश में लोकसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों के बाद चल रही चुप्पी को तोड़ते हुए संदेश दे दिया कि परफॉर्मेंस ही शीर्ष तक पहुंचने की चाबी होगी।
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हालांकि निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष जोशी पिछले 6 महीने में तीन बार अपने इस्तीफा की पेशकश कर चुके थे। पहली बार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सीपी जोशी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, दूसरी बार लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने के बाद भी उन्होंने इस्तीफे की बात कही थी। जोशी को उम्मीद थी की विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, वे मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं परंतु ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद लोकसभा चुनावों के वक्त भी चर्चा जोरों पर थी कि जोशी को केंद्र में मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है परंतु मंत्रिमंडल में भी जोशी को स्थान नहीं मिला।
अब तीन दिन पहले जोशी ने तीसरी बार इस्तीफ देने की पेशकश की। गौरतलब है कि पिछली दो बार इस्तीफा देने की खबर को सार्वजनिक नहीं किया गया था, जबकि तीसरी बार की खबर को जोशी के नजदीकियों द्वारा ही सार्वजनिक किया गया और इस खबर की पुष्टि भी की गई।
अब इस पूरे घटनाक्रम से सवाल यह खड़ा होता है कि तीसरी बार सीपी जोशी ने खुद इस्तीफा दिया या फिर इस बार इस्तीफा मांगा गया?
यह प्रश्न इसलिए उबरकर आ रहा है क्योंकि खबर छपने के महज कुछ घंटों भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा भी कर दी। इससे स्पष्ट है कि केंद्रीय नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए अपनी सभी कार्रवाई पहले ही पूरी करके मदन राठौड़ को प्रदेश की कमान सौंपने के लिए तैयार बैठा था। इस बार प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले मुख्यमंत्री और प्रदेश के बड़े नेताओं से राय भी नहीं ली गई। केंद्रीय नेतृत्व का यह फैसला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भाजपा एक बार फिर परफॉर्मेंस बेस्ड पार्टी की तरह काम करने जा रही है।
लोकसभा चुनाव में निराशाजनक नतीजे आने के बाद केंद्रीय नेतृत्व द्वारा किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आने से पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओं में एक असमंजस का माहौल था, सभी जगह दबी जुबान में चर्चा जरूर थी कि क्या प्रदेश के नेतृत्व में कोई बदलाव होगा और इस हार की नैतिक जिम्मेदारी कौन लेगा, केंद्रीय नेतृत्व इस हार के लिए किसको जिम्मेदार मानता है।
हालांकि डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी में हलचल मचा दी थी कि हार के लिए जिम्मेदार लोगों को उनकी तरह जिम्मेदारी लेते हुए आगे आना चाहिए और उचित कदम उठाना चाहिए। हालांकि मीणा को भी इस्तीफा देने से कई बार रोकने का प्रयास किया गया परंतु यह मुद्दा इतना बड़ा बन चुका था कि विपक्ष के बार-बार घेरने के बाद चाहकर भी भाजपा डॉ. किरोड़ी को इस्तीफा देने से नहीं रोक पाई। किरोड़ीलाल के इस्तीफे के साथ ही यह तय हो चुका था कि प्रदेश में जल्द ही बहुत बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।
अमर उजाला ने हाल ही में 13 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित की गई वृहद कार्यसमिति के आयोजन को प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के कार्यकाल का आखिरी बड़ा कार्यक्रम बताया था, जिसके बाद अमर उजाला की खबर का विरोध भी किया गया था। जोशी के करीबियों द्वारा यह भी कहा गया था कि वे अभी हटने वाले नहीं हैं परंतु 10 दिन के अंदर ही सीपी जोशी ने अपना इस्तीफा केंद्रीय नेतृत्व को प्रस्तुत कर दिया, जिसे तुरंत प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया गया और कुछ ही घंटों में नए प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा भी घोषित कर दिया गया।
आगामी 3 महीनों में 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व सजग नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो अब परफॉर्मेंस देने पर ही भाजपा में गुजर-बसर हो सकेगा। जैसा कि नजर आ रहा है मदन राठौड़ नए प्रदेश अध्यक्ष हैं, अपनी टीम बनाने का उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिलेगा इसलिए आगामी उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कंधों पर रहेगी। अब इन पांचों सीटों पर भाजपा की जीत का सेहरा भजनलाल शर्मा के सिर पर बंधेगा, तो हार की नैतिक जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री की ही होगी। अगर भाजपा परफॉर्मेंस आधारित काम पर ही चलने वाली है तो भविष्य में प्रदेश में और भी बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।

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