Rajsamand:शिल्पकार पद्मश्री मोहनलाल कुम्हार का निधन, टेराकोटा आर्ट को विश्व पहचान दिलाने में दिया योगदान – Craftsman Padma Shri Mohanlal Kumhar Passed Away In Rajsamand

पद्मश्री मोहनलाल को पुष्पांजलि देते लोग।
– फोटो : Amar Ujala Digital
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टेराकोटा आर्ट को विश्व पहचान दिलाने वाले शिल्पकार पद्मश्री मोहनलाल कुम्हार का शुक्रवार शाम निधन हो गया। उनके निधन की खरब से क्षेत्र सहित शिल्पकारों और उनके शिष्यों में शोक की लहर छा गई। 85 साल के पद्मश्री मोहन लाल पिछले छह माह से बीमार चल रहे थे। कल शाम करीब सात बजे उन्होंने अपने मोलेला में अपने पैतृक आवास पर अंतिम सांस ली। खबर सुनने के बाद क्षेत्र में शोक की लहर छा गई।
आज सुबह मोलेला के मोक्षधाम में सुबह 11 बजे उनके दोनों पुत्र दिनेश और राजेन्द्र ने मुखाग्नि दी। इस दौरान आसपास के क्षेत्र के लोगों सहित पिपलांत्री के पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल, खमनोर तहसीलदार सुरेश मेहता, सरपंच सीमा सुधीर जैन सहित जन प्रतिनिधि, परिचित सहित टेराकोटा आर्ट से जुड़े कलाकार मौजूद रहे। पद्मश्री मोहनलाल मूलत राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखण्ड के छोटे से गांव मोलेला में परम्परागत टेराकोट मृण के शिल्पकार थे। टेरोकोटा आर्ट को न केवल राजस्थान बल्कि विश्व स्तर पर एक अलग ही पहचान स्थापित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
मोहनलाल कुम्हार को टेराकोटा आर्ट पिता चतुर्भुज से विरासत में मिली, मोहन लाल ने अपने पिता से बचपन में ही माटी का आकार देना सीख चुके थे और जीवन पर्यन्त इस कला को आगे बढ़ाया। इस कला के बलभूते मोहनलाल ने देश और विदेश में कला जगत के कई संस्थानों ने मोहनलाल को सम्मानित किया। खमनोर पंचायत समिति के पास के गांव मोलेला में दर्जनों कलाकारों को इनका मार्ग दर्शन मिला और 2012 में मोहन लाल कुम्हार को जब पद्मश्री सम्मान मिला तो परिवार सहित पूरे गांव और जिलेभर में खुशी की लहर दौड़ गई।
मोलेला गांव में विदेशी मेहमान भी आर्ट देखने पहुंचते हैं
मोलेला गांव में कुम्हार परिवार परंपरागत तरीके से टेराकोटा आर्ट को सहेजे हुए हैं। इनमें मोहन लाल का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रहा है। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने मोलेला आर्ट को और आगे बढ़ाने के लिए राशि स्वीकृत कराई थी, जिसकी उन्होंने पुरजोर तरीके से मांग उठाई थी। 85 साल के पद्मश्री मोहन लाल पिछले छह माह से बीमार चल रहे थे और कल शाम करीब सात बजे उन्होंने अपने मोलेला में अपने पैतृक आवास पर अंतिम सांस ली। खबर सुनने के बाद क्षेत्र में शोक की लहर छा गई।
राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं मोहनलाल
मोहन लाल चतुर्भुज कुम्हार राजस्थान के प्रसिद्ध शिल्प कारीगर हैं। उन्होंने टेराकोटा मूर्तिकला में अपने कौशल के लिए 2003 में शिल्प गुरु पुरस्कार सम्मानित हुए थे। उनका जन्म 1939 में राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा में हुआ था। 23वें सूरज कुंड शिल्प मेले में मोहनलाल चतुर्भुज को टेराकोटा आर्ट में उनके अद्भुत काम के लिए कला मणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने स्पेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों में इस पारंपरिक कला को बढ़ावा देने में भाग लिया था। भारत सरकार ने उन्हें 2012 में पद्मश्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था।

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