महंगाई दर में नरमी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता के बीच केंद्रीय बैंक ने ये बड़ा कदम उठाया है। इससे पहले, आरबीआई ने फरवरी में 0.25 प्रतिशत और फिर अप्रैल में भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 1 प्रतिशत की बड़ी कटौती की है। रिजर्व बैंक ने कमर्शियल बैंकों के लिए अब सीआरआर को 4.0 प्रतिशत से घटाकर 3.0 प्रतिशत कर दिया है। सीआरआर घटाए जाने से बैंकों के पास अब लोन देने के लिए ज्यादा पैसे उपलब्ध होंगे।
नकद आरक्षित अनुपात क्या होता है
नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर बैंकिंग सिस्टम में एक बहुत अहम कड़ी है। सीआरआर के तहत देश के सभी बैंक अपने कुल डिपॉजिट का एक हिस्सा रिजर्व रखते हैं, जो उन्हें मुसीबत की घड़ी में सुरक्षित रखता है। पहले बैंकों को अपने कुल डिपॉजिट का 4 प्रतिशत रिजर्व में रखना होता था लेकिन अब बैंकों को सिर्फ 3 प्रतिशत डिपॉजिट ही रिजर्व में रखना होगा। आरबीआई के इस ताजा फैसले से भारतीय बैंकिंग सिस्टम के पास उपलब्ध नकदी में 2.5 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी।
महंगाई को लेकर क्या बोले आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा
इसके साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 4.0 प्रतिशत से घटाकर 3.7 कर दिया गया है। यानी, रिजर्व बैंक को लगता है कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई में अभी और गिरावट आएगी, जिससे करोड़ों आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मीटिंग के फैसलों का ऐलान करते हुए कहा कि भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में गिरावट के बावजूद भारत निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।

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