Samrat Vikramaditya Mahanatya Did Not Even Spare His Relatives For Country See Pictures This Unimaginable Epic – Amar Ujala Hindi News Live

‘अद्भुत-अकल्पनीय-रोमांचक..।’ 250 कलाकार जब सम्राट विक्रमादित्य का जीवन जीवंत करने मंच पर उतरे तो पूरा कार्यक्रम स्थल आश्चर्य में डूब गया। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माधवदास पार्क गूंज उठा। दर्शकों को यकीन ही नहीं हुआ कि डिजिटल मूवी और रील्स के इस युग में इस तरह का कोई कार्यक्रम भी हो सकता है। दर्शक टकटकी लगाए पूरे नाटक को देखते रहे। दर्शकों ने महानाट्य से प्रेम, दयाशीलता, वीरता, साहस, विनम्रता, संघर्ष, देशप्रेम की प्रेरणा ली। मौका था नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का। 14 अप्रैल को महानाट्य का तीसरा और अंतिम दिन था। इस मौके पर दर्शकों ने एक तरफ सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से जुड़ी प्रदर्शियां देखीं, तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के व्यंजनों का भी आनंद लिया।

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मौजूद दर्शक
– फोटो : अमर उजाला
मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को नई दिल्ली में महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य के मंचन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान महानाट्य के कलाकारों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम में अनेक जनप्रतिनिधि, धर्म और आध्यात्म क्षेत्र की हस्तियां और बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे।
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नाट्य मंचन
– फोटो : अमर उजाला
विरासत से विकास के मंत्र पर हो रहा है कार्य
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरासत के संरक्षण के साथ विकास की बात कर रहे हैं। वास्तव में यह अदभुत काल है। प्रधानमंत्री स्वयं को प्रथम सेवक मानते हैं। आज भारत की गरिमा विश्व में बढ़ रही है। एक समय था, जब सम्राट विक्रमादित्य ने सुशासन, न्याय, वीरता और दानशीलता के महत्व को स्थापित किया। उस युग को पुन: महानाट्य के माध्यम से प्रकट किया गया है। सम्राट विक्रमादित्य के जीवन के विभिन्न पक्षों को महानाट्य के माध्यम से सामने लाने का कार्य हुआ है।
नाट्य विधा प्राचीन विधा है, इसका आज भी महत्व
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नाट्य विधा एक प्राचीन विधा है। आज के डिजिटल युग को देखें तो इस विधा का महत्व तब भी बना हुआ है। फिल्मों के निर्माण के साथ अनेक माध्यमों से कला और संस्कृति के दर्शन होते हैं। लेकिन महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और शासन काल को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता है। यह महानाट्य हमारे इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ और गौरवशाली अतीत से परिचय करवाता है।
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नाट्य मंचन
– फोटो : अमर उजाला
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन के दौरान सभी उपस्थितों से वीर विक्रमादित्य महाराज की जय-जयकार भी करवाई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस महानाट्य के मंचन के लिए आवश्यक समन्वय करते हुए सहयोग प्रदान किया।
विशिष्ट अतिथियों का मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने माना आभार
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दिल्ली में महानाट्य के मंचन के लिए आज पधारे राज्यसभा के उप सभापति हरवंश सिंह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर, स्वामी अचलानंद जी, मध्यप्रदेश के मंत्रीगण सर्वश्री राकेश सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, नरेंद शिवाजी पटेल, दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद की उपस्थित के लिए आभार माना और संस्कृति मंत्रालय एवं विक्रमादित्य शोध पीठ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्यसभा के उप सभापति हरवंश सिंह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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कार्यक्रम में मौजूद लोग
– फोटो : अमर उजाला
उप-सभापति, राज्यसभा हरिवंश सिंह ने कहा कि सबसे पहले मैं मध्यप्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस इतिहास के प्रेरक प्रसंगों को पुनः भारत के सामने लाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। इतिहास में इतिहासकारों की मान्यता है कि अतीत को जितना पीछे देख सकें, उतना देखें। उसके प्रेरक प्रसंगों से भविष्य गढ़ने की ताकत-ऊर्जा मिलती है। इसलिए इस अनोखे आयोजन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का सम्राट विक्रमादित्य से वर्षों से भावनात्मक लगाव है। यह दौर भारत के पुनर्जागरण का अद्भुत दौर है।
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हमें ये बताने की जरूरत नहीं कि सम्राट विक्रमादित्य ने कैसे आक्रांताओं को पराजित किया। किस रूप में हमारे यहां विक्रम संवत की शुरुआत हुई। यह महज नया वर्ष नहीं था, बल्कि भारत की गरिमा को, भारत के साहस को, भारत की चेतना को जाग्रत करने का पल था। हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि यही समय है, सही समय है। यह विश्व में भारत का समय है। साल 2014 के बाद जिस तरह से भारत के पुनर्जागरण का दौर चल रहा है, उसे दुनिया पहचान रही है। आज विदेशी राजदूत इस बात पर पुस्तक लिख रहे हैं कि पश्चिम भारत से क्या सीखे। भारत लोकतंत्र की जननी रहा है। जाने-माने इतिहासकार ने लिखा है कि भारत का हजार बरसों का इतिहास दुनिया का इतिहास रहा है। हमारे अतीत को नेपथ्य में डाला गया। विदेशियों तक ने कहा कि भारत अपने अतीत पर गर्व क्यों नहीं करता। इसलिए इस तरह के आयोजन के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बधाई।
