Sarva Pitru Amavasya: Crows Have Become Extinct In Mountains Not Being Found During Pitru Paksha Pauri News – Amar Ujala Hindi News Live

कौवा
– फोटो : संवाद
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देवभूमि में कौवा हमारी लोक सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है। पर्व, त्योहार, धार्मिक मान्यताओं में कौवे का बड़ा महत्व है। घी संग्राद हो या श्राद्ध पक्ष दोनों कौवे के बिना अधूरे माने जाते हैं। इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है, लेकिन पहाड़ में प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोगों को एक भी कौवा नजर नहीं आ रहा है। जहां लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने कौवे के नहीं दिखने को पितृ दोष के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं जीव वैज्ञानिक कौवे के पहाड़ से विलुप्त होने के पीछे आवास व भोजन की कमी, प्रदूषण से प्रजनन प्रभावित होने को मुख्य कारक मान रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवभूमि उत्तराखंड में बीते 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हुआ था, जो बुधवार (आज) दो अक्तूबर को संपन्न हो जाएगा। इस दौरान सनातन धर्म के अनुयायियों ने अपने-अपने पित्रों को तर्पण दिया। पितृों का श्राद्ध करने पर मान्यता के अनुसार कौवे को प्रसाद दिया जाता है। इसके लिए कौवे का आह्वान किया जाता है। लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी कौवा नजर नहीं आ रहा है। जबकि तीन-चार साल पहले पितृ पक्ष में कौवे स्वयं ही प्रसाद ग्रहण करने आया करते थे।
ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा का
पंडित रोशन लाल गौड़ का कहना है कि पितृ पक्ष में पित्रों को दिए जाने वाला प्रसाद धार्मिक मान्यता के अनुसार कौवे को दिया जाता है। मान्यता है कि कौवे द्वारा प्रसाद ग्रहण किए जाने से पितृ तृप्त (संतुष्ट) हो जाते हैं, उन्हें दक्षिण लोक में पानी व भोजन प्राप्त हो जाता है। लेकिन अब पितृपक्ष में कौवे नजर नहीं आ रहें है, जो ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
लोगों का कहना है कि कहीं पहाड़ों से कौवे के विलुप्त होने के पीछे पितृ दोष तो नहीं है। ग्राम मासौं के बुजुर्ग रेवाधर थपलियाल व सतेश्वरी देवी ने कहा कि श्राद्ध पक्ष में कौवों के लिए प्रसाद के रूप में पूड़ी रखी, लेकिन एक भी कौवा नहीं आया। जबकि ग्रामीण कौवे को काले कौवा, काले कौवा करके बुलाते रहे। राजकीय महाविद्यालय लैंसडौन में प्राणी विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहन कुकरेती ने बताया कि खेती न होने व मानव जनित प्रदूषण के कारण कौवे के प्राकृतिक आवास पर संकट पैदा हो गया है। कहा, रसायनयुक्त खाना खाने से कौवे के शरीर में ऐसे रसायन प्रवेश कर चुके हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इससे उनकी संख्या में गिरावट आ रही है। संवाद

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