Sehore: First Death Due To Dengue In The District This Year, Atmosphere Of Fear Among Villagers Due To Fever – Amar Ujala Hindi News Live

सीहोर के ग्रामीण इलाकों में मुनादी करवाकर डेंगू से बचाव की जानकारी दी जा रही है।
– फोटो : सोशल मीडिया
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सीहोर जिले में लगातार रुक-रुक कर हो रही बरसात से मौसमी बीमारियों ने क्षेत्र में अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं। इस समय क्षेत्र में मौसमी बीमारी के साथ-साथ डेंगू व मलेरिया भी धीरे-धीरे पैर पसारने लगे हैं। हालत ये हैं कि जिले के भैरुंदा ब्लॉक में हर गांव में दर्जनों मरीज दिखाई दे रहे हैं। जिसकी अस्पताल की ओपीडी भी गवाही दे रही है। जहां हर दिन एक दर्जन से अधिक मरीज जांच के उपरांत डेंगू पॉजीटिव आ रहे हैं। डेंगू के खतरनाक होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्षेत्र के खात्याखेड़ी निवासी एक युवक ने डेंगू होने के बाद भोपाल के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया।
डेंगू को लेकर सजगता व लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है यह खात्याखेड़ी के एक पीड़ित परिवार की पीड़ा से जान सकते हैं। इसमें एक 35 वर्षीय युवक की भोपाल के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। खात्याखेड़ी निवासी गबूलाल मीणा ने बताया कि ग्राम उप सरपंच लखन लाल धनवारे के पुत्र सुनील को 5 दिन पहले बुखार और वायरल फीवर होने के चलते उपचार के लिए स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया था। जांच के दौरान वह डेंगू पॉजीटिव आया था। हालात बिगड़ने के चलते उसे उपचार के लिए रेफर कर दिया गया था। परिजनों ने सुनील को उपचार के लिए भोपाल के जेके अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उपचार के दौरान सुनील की शनिवार रात्रि को मौत हो गई। युवक की मौत के संबंध में सीबीएमओ डॉ. मनीष सारस्वत का कहना है कि युवक डेंगू पॉजीटिव के चलते रेफर किया गया था या अन्य बीमारी के चलते। अभी उनके पास जानकारी नहीं आई है।
ग्रामीण जन जागरूक होने को तैयार नहीं
छिदगांव काछी और छिदगांव मौजी में तो प्रत्येक 10 घर में से 5 घरों में तो पॉजीटिव मरीज मिल रहे हैं। इसके बाद मलेरिया व स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मूड में आया और उपचार के साथ-साथ बचाव के सुझाव भी ग्रामीणों के बीच पहुंचकर देने की कयावद शुरू की। लेकिन मेडिकल टीम की मानें तो ग्रामीणजन इस गंभीर व जानलेवा बीमारी के प्रति जरा भी सजग नहीं हैं और देखने में आ रहा है कि अधिकांश घरों में पानी की टंकियां, टायर, सोख्ता गड्डे व घरेलू उपयोग के बाद बेस्टेज पानी घरों के आसपास भरा हुआ है। जो सामान्यत: देखने में ही इन इकट्ठा पानी में मच्छरों की भरमार देखी गई और कई जगह तो डेंगू के लार्वा भी देखा गया। जिन्हें नष्ट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयल, मीठा तेल, दवाओं का छिडक़ाव व गम्बूशियां मछली भी छोड़ी गईं। बावजूद इसके ग्रामीण किसी भी प्रकार से न तो सहयोग करने को तैयार है और न ही सजग दिखाई दे रहे हैं।
इस सबंध में मेडिकल टीम के प्रभारी डॉ. राहुल जाट ने बताया कि मानसून की खेंच के बाद सामान्य तौर पर हर वर्ष मौसमी बीमारी के साथ-साथ डेंगू व मलेरिया का असर दिखाई देने लगता है। इसी को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम सजग होकर शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी मलेरिया व डेंगू की रोकथाम के साथ-साथ आम लोगों में जागरूकता लाने के लिए चर्चा की जा रही है। लेकिन देखने में आया है कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग इस महामारी से बचने व उपाय के लिए जरा भी सजग नहीं हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के एएनएम, एमपीडब्लू, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि वह हर घर जाकर जहां भी संभावित मच्छर व डेंगू पाए जाते हैं उन स्थानों पर उपचार के प्रबंध करें।

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