सभी धर्मों की, सम्मानित लैखिक-धरोहरों में, धर्म के अनुसार राज चले, संदेश दिया गया है।
धर्म का मतलब होता है, सभी का भला।
यदि एक सवाल हल करना हो तो, सवाल में केवल एक अंक गलत लिख दिया जाए, तो सवाल का जवाब सदैव गलत ही आएगा।
1947 से पहले या 1947 के बाद सभी देश सेवक अपनी बुद्धि और क्षमता के अनुसार देश सेवा कर रहे हैं।
देश की आर्थिक, सामाजिक तरक्की का, सही संदेश तब मिलता है, जब देश की आर्थिक और सामाजिक शक्ति, निरन्तर बढ़ रही हो।
आर्थिक और सामाजिक तरक्की का आधार, देश की मुद्रा का वैश्विक स्तर पर, निरन्तर उत्थान हो रहा हो, तब माना जाता है।
डॉलर के मुकाबले भारत का रुपया, 1947 से लेकर वर्तमान तक, एक बार भी नहीं बड़ा।
जबकि भारत के नेता, भारत के अधिकारी, भारत की आर्थिक तरक्की करने के लिए, देश के नागरिकों की खून पसीने की कमाई से 75 वर्षों से आनंद ले रहे हैं।
बुद्धिजीवी बताएं, क्यों ये उपरोक्त जिम्मेदार नेता और अधिकारी 75 वर्षों से भारत की मुद्रा का विकास क्यों नहीं कर पाए ?
क्या ये, अपने काम में माहिर नहीं हैं, जानकार और अनुभवी नहीं हैं ?
यदि 75 वर्षों में भारत के नेता और अधिकारी देश की सबसे गंम्भीर समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाए तो उसका कारण क्या है, और उसका जिम्मेदार कौन है ?
भारत में 75 वर्षों से कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, कभी जनता दल, कभी कम्युनिष्ट राज करते आये हैं।
प्रदेश स्तर पर, अन्य कई राजनैतिक पार्टियों ने भी, राज किया है, और वर्तमान में भी राज कर रहे हैं,
परन्तु, भारत की आर्थिक और सामाजिक तरक्की कभी नहीं हुयी।
तो क्या ईमानदारी और नैतिकता में ही कमी है ?
तो फिर यदि 75 वर्षों बाद भी ईमानदारी और नैतिकता नहीं आयी, तो अब कैसे आएगी ?
क्या ! भारत के सभी बुद्धिजीवियों के पास इस अति-महत्वपूर्ण प्रश्न का प्रायोगिक उत्तर है ?
अगर है ! तो आजतक उस पर प्रयोग क्यों नहीं हुआ ?
यदि प्रयोग हुआ है ! याँ हूआ था ! तो उसका साक्ष्य के साथ, जनता को उदाहरण दिया जाए।
अन्यथा ! अभी तक के सभी राजनैतिक पार्टियों और अधिकारीयों को, देश के साथ गद्दारी करने की गलती के लिए, सार्वजनिक रूप से भारत की जनता से माफी माँगनी चाहिए !
और अपने पदों से त्यागपत्र देकर, किन्ही योग्य राजनेताओं और अधिकारीयों को, देश की सामाजिक और आर्थिक उन्नत्ती करने की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।
भारत में पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, विधानसभा, लोकसभा, राज्य सभा के चुनाव का चलन है।
लेकिन भारत की चुनाव व्यवस्था ही त्रुटिपूर्ण और असंतोषजनक है।
केवल धन के प्रयोग से चुनाव जीता जाता है।
भारत की राजनीति में शराब और बिकायु मिडिया, पैसा और गुण्डागर्दी का जमकर उपयोग होता आ रहा है।
धर्म के ठेकेदार और उद्योगपति, अपने आर्थिक और सामाजिक लालच को पूरा करने के लिए, राजनैतिक पार्टियों और उनके नेताओं को पैसा और समर्थन देकर, भारत की जनता को, हर प्रकार से लूटते जाते आ रहे हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली थी, जिसमे बताया गया था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए, गुजरात के दो नेताओं ने, (तीस हजार करोड़ रुपये में), भारत की जनता के अधिकार, पूंजीपतियों को, बेच दिए थे।
2019 में भी, भाजपाइयों ने, जनता के अधिकार, पूंजीपतियों को बेच दिए।
भाजपाइयों से पहले, कांग्रेस और अन्य राजनैतिक पार्टियां भी, जनता के अधिकारों को पूंजीपतियों को, बेचती आ रहीं हैं।
आम तोर पर भारत की जनता भी अपने पांच वर्ष के अनमोल अधिकार कुछ रुपयों और शराब याँ तुच्छ अस्थिर लाभ के लिए मौकापरस्त राजनेताओं को सौंप देती है, हर पांच वर्ष बाद पार्टी बदल जाती है लेकिन मौकापरस्त वही रहता है।
ये क्रम 75 वर्षों से चला आ रहा है।
क्या भारत की जनता चाहेगी की भारत की सर्वागीण आर्थिक और सामाजिक तरक्की हो ?
तो बदलाव जरूरी है !
बदलाव भी एक स्थान यां एक प्रदेश में नहीं पूरे भारत में होना चाहिए।
सभी धर्मों और सभी जातियों सभी वर्गों का सामूहिक आर्थिक और सामाजिक विकास होना ही देशभक्ति है।
भारत किसी एक की माता नहीं।
भारत समस्त भारत वासियों की माता है।
जब तक समस्त भारतयों का सर्वागीण विकास नहीं होता तब तक भारत माता की जय अधूरी है।
तो अगर भारत माता की जय करनी है तो भारत के हर गावं, हर वॉर्ड, हर पंचायत, हर नगर निगम, हर विधानसभा, हर संसदीय क्षेत्र से, पांच-पांच महिला-पुरुष- प्रतिनिधि हमारे संगठन के साथ जुड़ें।
हम अति विशिष्ट योग्य अनुभवी विशेषज्ञों से सभी प्रतिनिधियों को तीन महीने का प्रशिक्षण दिलवाएंगे।
हम हर प्रतिनिधि को भारत की आर्थिक, सामाजिक तरक्की का प्रशिक्षण दिलवाएंगे, उन सभी को आर्थिक रूप से उन्नत करेंगे और देश के हर क्षेत्र में जनसेवा का अधिकारी बनवाएंगे।
देशसेवक चरणजीत सिंह भारती इस बहुउद्देशीय भारत देश सेवा का संकल्प लेने जा रहा है।
क्या आप सभी भारत वासी देशसेवक चरणजीत सिंह भारती का साथ देना चाहोगे ?
किसी शायर ने कहा है कि
“खुदी को कर बुलंद इतना
के हर तकदीर से पहले
खुदा बन्दे से खुद पूछे
के बता तेरी रज़ा क्या है”
किसी एक और कवी ने कहा है कि
“बाधाएं कब बांध सकी हैं,
आगे बढ़ने वालों को,
विपदाएं कब रोक सकी हैं,
मरकर जीने वालों को”
हिंदी के एक और कवी जयशंकर प्रसाद ने लिखा है
“वह पथ क्या,
पथिक कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल न हों”
और गुरु गोबिंद सिंह जी ने लिखा है
कोई किसी को राज ना दे हैं
जो ले हैं निज बलि से ले हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने यह भी लिखा है
देह शिवा बर मोहे ईहे,
शुभ कर्मन ते कभुं ना टरूं,
ना डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं,
निश्चय कर अपनी जीत करौं
तो आइये भारत के देश सेवको, एक होकर ईमानदारी से भारत की सर्वागीण तरक्की और सामाजिक सुरक्षा का बीड़ा उठाएं।
भारत के हर गावं, हर वॉर्ड, हर पंचायत, हर नगर निगम, हर विधानसभा, हर संसदीय क्षेत्र से, पांच-पांच महिला-पुरुष- प्रतिनिधि हमारे संगठन के साथ जुड़ें।
1 . 15 वर्ष से ऊपर किसी भी धर्म का, किसी भी वर्ग का युवा, स्त्री, पुरुष, देशसेवक प्रतिनिधि बन सकता है।
2 . अपना एक व्यक्तिगत परिचय सादे कागज पर अपने हस्त लिखित अक्षरों में भारत की किसी भी भाषा में भेजे।
3 . अपना व्यक्तिगत पहचान पत्र या स्कूल, कॉलेज का, याँ वोटर कार्ड, याँ अन्य कोई भी पहचान पत्र भेजे।
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