Shardiya Navratri: For Nine Days Entry Of Women Is Prohibited In Ashapuri Devi Temple Of Nalanda, Durga Puja – Amar Ujala Hindi News Live

नालंदा के पावापुरी का ऐतिहासिक मंदिर।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
शारदीय नवरात्रि का तृतीय दिन है। इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जानते हैं। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। शारदीय नवरात्र में नालंदा में अवस्थित मां आशापुरी मंदिर में पूजा का खास महत्व है। नवरात्र के अवसर पर यहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह एक पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर है। आइए जानते हैं इसके बारे में…
प्राचीन ज्ञान के केंद्र के रूप में विख्यात नालंदा में एक ऐसा मंदिर है, जो अपनी विलक्षण परंपराओं के लिए जाना जाता है। गिरियक प्रखंड के घोसरावां स्थित मां आशापुरी मंदिर में एक ऐसी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज के आधुनिक युग में भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
तांत्रिक विधि और प्रतिबंध
मंदिर के मुख्य पुजारी पुरेंद्र उपाध्याय ने कहा कि नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पूर्णतः वर्जित रहता है। यह कोई नया नियम नहीं है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। यहां तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है, जिसमें अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा का संचार होता है।
लोगों की आस्था और विश्वास की परंपरा
स्थानीय राजेश कुमार सिंह ने बताया कि हमारे लिए यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि हमारी आस्था का प्रतीक है। हमारी माताएं और बहनें भी इस परंपरा का सम्मान करती हैं। मां आशापुरी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक जीवंत उदाहरण भी है। यहां की तांत्रिक विद्या और साधना पद्धतियां भारतीय आध्यात्मिक परंपरा की विविधता को दर्शाती हैं।एक ओर यह परंपरा प्राचीन भारतीय संस्कृति की निरंतरता का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह आधुनिक मूल्यों और समानता के सिद्धांतों से टकराती दिखाई देती है। फिर भी, स्थानीय लोगों की आस्था और विश्वास इस परंपरा को जीवंत बनाए हुए है।

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