Shardiya Navratri: Water Offered In Saharsa Chandika Temple Has Become A Mystery, Durga Puja, Bihar News – Amar Ujala Hindi News Live

मां चंडिका मंदिर।
– फोटो : अमर उजाला
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शारदीय नवरात्रि को नौ दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसके पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना का विधान है। हर जगह मंदिर से लेकर पंड़ालों में माता विराजमान हो चुकी है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती हैं, जिसमें दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा को समर्पित है। शारदीय नवरात्र में सहरसा जिले के सोनबरसा प्रखंड स्थित विराटपुर गांव में अवस्थित चंडिका स्थान में पूजा का खास महत्व है। नवरात्र के अवसर पर यहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह एक पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर है। आइए जानते हैं इसके बारे में…
पांडवों ने भी यहां मां चंडी की पूजा की थी
मां चंडिका मंदिर (चंडिका स्थान) का महाभारत काल से गहरा संबंध है। मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी यहां मां चंडी की पूजा की थी और विजयश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया था। मां चंडिका स्थान से जुड़ी एक और रहस्यमयी परंपरा है। यहां पूजा के दौरान चढ़ाया जाने वाला जल कहां जाता है, इसका रहस्य आज तक सुलझ नहीं पाया है। कई बार विशेषज्ञ अभियंताओं की टीम ने इस रहस्य को समझने का प्रयास किया, लेकिन अब तक इसका पता नहीं चल सका। यह रहस्य भक्तों के विश्वास और आस्था को और मजबूत करता है, जो इसे एक अद्भुत स्थान बनाता है।
पांडवों ने युद्ध में विजय प्राप्त करने की प्रार्थना की
कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास के लिए निकले थे, तब वे विराटपुर गांव पहुंचे। उस समय उन्होंने मां चंडी की आराधना की और युद्ध में विजय प्राप्त करने की प्रार्थना की। लगातार पूजा और साधना के बाद, मां चंडी ने पांडवों को दर्शन दिए और उन्हें महाभारत के निर्णायक युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया। यह मान्यता आज भी इस स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को बढ़ाती है। मां चंडिका स्थान का ऐतिहासिक महत्व तब और बढ़ गया जब पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई की और हजारों वर्षों पुराने अवशेष प्राप्त किए। यह प्रमाणित करता है कि यह मंदिर वास्तव में एक प्राचीन स्थल है, जो संभवतः महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। खुदाई के दौरान मिले अवशेष इस स्थान की प्राचीनता और यहां की धार्मिक परंपराओं की गहराई को दर्शाते हैं। पुरातत्व विभाग ने दो बार यहां सर्वेक्षण किया, जिससे मंदिर के ऐतिहासिक महत्व की पुष्टी होती हैं।

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