Shipra Pilgrimage Faith, Preparations Going On, Chief Minister Dr. Mohan Yadav Participate – Madhya Pradesh News
मोक्षदायिनी मां शिप्रा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यह शिप्रा तीर्थ परिक्रमा गंगा दशमी के पर्व पर 4 और 5 जून को आयोजित की जा रही है। यह दो दिन की यात्रा 4 जून को सुबह रामघाट से शुरू होगी और शहर के कई इलाकों का भ्रमण करेगी। यात्रा के अंत में शिप्रा नदी को 351 फीट लंबी चुनरी अर्पित कर 16 श्रृंगार किए जाएंगे। यात्रा सुबह 8 बजे रामघाट से शुरू होकर नृसिंह घाट, आनंदेश्वर मंदिर, जगदीश मंदिर, गऊघाट, जंतर-मंतर, वरूणेश्वर महादेव मंदिर होते हुए दोपहर 12 बजे इंदौर रोड त्रिवेणी पहुंचेगी, जहां पहला ठहराव होगा और भोजन कराया जाएगा। फिर यह शनि मंदिर, गोठडा, दाउदखेड़ी, मंगरोला, लालपुर होते हुए नानक घाट से दत्त अखाड़ा पहुंचेगी।
नगर निगम सभापति और कलेक्टर ने यात्रा मार्ग का निरीक्षण किया
गंगा दशमी के पर्व पर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा भव्य तरीके से मनाई जाएगी। इसके लिए नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव और कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के यात्रा मार्ग का निरीक्षण किया। इस मौके पर नरेश शर्मा, अनोखी लाल शर्मा, नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक और अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
सबसे पहले उन्होंने पूजा करने के लिए तय किए गए स्थान का निरीक्षण किया। कलेक्टर रौशन सिंह ने कहा कि जरूरत के हिसाब से जगह-जगह अतिरिक्त लाइट लगवाई जाए। उन्होंने घाटों की सफाई और रंग-रोगन करने के भी निर्देश दिए। बताया गया कि यात्रा की शुरुआत रामघाट से होगी और फिर नरसिंह घाट, लालपुर घाट और गऊघाट का निरीक्षण किया गया। यात्रा के दौरान रात को लोग इन घाटों पर आराम करेंगे। कलेक्टर ने पीएचई को निर्देश दिए कि यात्रियों के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था हो और अगले दो दिनों में सभी घाटों की सफाई पूरी हो जाए।
आयोजन के बारे में जानकारी
4 जून की शाम 7 बजे दत्त अखाड़ा घाट पर श्री पवन तिवारी की भजन प्रस्तुति होगी। 5 जून को यात्रा के समापन पर रामघाट पर चुनरी अर्पण कार्यक्रम होगा। साथ ही आर्मी सिंफनी बैंड की प्रस्तुति और मुंबई की मशहूर गायिका स्वस्ती मेहुल का गायन कार्यक्रम होगा। 5 जून से 16 जून तक हर शाम 7 बजे ग्वालियर के पंडित श्री ढोली बुआ रामघाट पर श्री हरिकथा और नारदीय कीर्तन का आयोजन करेंगे।
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साधु-संत और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शिप्रा परिक्रमा का बड़ा महत्व है। उनका कहना है कि शिप्रा नदी की परिक्रमा करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला बताते हैं कि शिवरात्रि तीर्थ परिक्रमा का जिक्र हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।
स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में लिखा है कि शिप्रा नदी की परिक्रमा से पितृ दोष, पिछले जन्म के पाप खत्म होते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और शरीर की बीमारियों से भी राहत मिलती है। पंडित डिब्बेवाला के अनुसार शिव पुराण में भी कहा गया है कि तीर्थ पर कदम रखने से पूरी फल प्राप्ति होती है। पंडित अक्षत व्यास कहते हैं कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने से पहले शिप्रा नदी में स्नान करना बहुत जरूरी है। यदि शिप्रा नदी में स्नान करने के बाद महाकाल का आशीर्वाद लिया जाए, तो यह यात्रा पूरी मानी जाती है।
शिप्रा नदी उत्तर की तरफ बहने वाली नदी है और इसका धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। पुराने समय में शिव भक्त राजा सद्युम्य ने भगवान शिव को खुश करने के लिए शिप्रा की परिक्रमा की थी। बाद में कई सालों तक साधु-संत इस परिक्रमा को करते रहे। शिप्रा नदी के किनारे पर सिंहस्थ महापर्व भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि शिप्रा नदी में अमृत की बूंदें गिरी थीं, इसलिए यह नदी बहुत पवित्र मानी जाती है।

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