Stubble Source Of Income For Youth In Haryana, Shekhar Of Aungad Village Help In Environmental Protection – Amar Ujala Hindi News Live

औंगद गांव में शेखर की ओर से बनाई गई पराली की गांठे और उपकरण।
– फोटो : संवाद
विस्तार
दानवीर कर्ण की नगरी करनाल के छोटे से गांव औंगद का युवक शेखर राणा ने विदेश जाने का विचार त्याग कर फसल अवशेष प्रबंधन को अपनी आमदनी का जरिया बनाया है। इससे वह खुद तो लाखों की आमदनी कर ही रहे हैं, साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। उनका ये कदम स्वच्छ पर्यावरण की ओर भी है।
शेखर ने चार वर्ष पूर्, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक बेलर मशीन से कार्य की शुरुआत की थी। विदेश जाने की चाह रखने वाले शेखर ने समय बीतने के साथ-साथ गांव औंगद में ही रहकर फ़सल अवशेष प्रबंधन को ही व्यापार करने की डगर को चुनना बेहतर समझा। वह अपने पिता काकू राणा की इकलौती संतान हैं, जिनकी गांव में पुश्तैनी 22 एकड़ जमीन है।
स्वच्छ पर्यावरण की चिंता के प्रति दृढ़ संकल्प कर फसल अवशेष यानी पराली प्रबंधन को ही उन्होंने अपना व्यवसाय बना लिया। 2021 में फसल अवशेष पराली प्रबंधन के लिए एक बेलर मशीन खरीदी। समय के साथ -साथ अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों में बढ़ोतरी होती रही। एक के बाद दूसरे साल धान सीजन में दो बेलर मशीन लीं तो कमाई में बढ़ी।
तीसरे वर्ष दिन रात की मेहनत के बाद अपने सहयोगी साथियों के साथ चार बेलर मशीन, स्वयं के 8 ट्रैक्टर, लीज पर लिए हुए सीजन के लिए अलग से 11 ट्रैक्टर के अलावा चार बेलर मशीन, तीन रैंक, चार कटर, सहित पराली के बने गट्ठों के उठान के लिए दस ट्रैक्टर, ट्रालियां कर ली है। अब वह करीब 60 युवकों को रोजगार दे रहे हैं।
पराली के गट्ठे बनाकर अपने खेतों में स्टॉक लगाकर पिछले कई सालों तक आईओसीएल (पानीपत रिफाइनरी) में पहुंचाकर अच्छे मुनाफे के साथ-साथ लाखों रुपए कमा रहे हैं। अब हरियाणा लिकर्स प्राइवेट लिमिटेड जुंडला को भेजा जा रहा है। शेखर राणा का कहना है कि युवा विदेशों जाने की चाह को छोड़कर अपने गांव में सभी के बीच रहकर लाखों रुपए कमा सकते हैं। पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों के माध्यम से युवा यही रहकर अपना व्यापार शुरू करें और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दें।

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