अगर आप एक टैक्सपेयर हैं और आप पर एडवांस टैक्स देयता बनती है तो आपको 15 जून का खास ध्यान रखना चाहिए। यह एडवांस टैक्स जमा करने की आखिरी तारीख है। अगर आप समय पर अपना यह टैक्स जमा नहीं करते हैं तो यह आपको महंगा पड़ सकता है। एडवांस टैक्स इनकम टैक्स की वह राशि है जो साल के आखिर में एकमुश्त भुगतान के बजाय अग्रिम रूप से चुकाई जाती है। इसे आयकर के रूप में भी जाना जाता है। एडवांस टैक्स का पेमेंट आयकर विभाग द्वारा तय की गई नियत तारीखों के मुताबिक किस्तों में किया जाता है।
किसको करना होता है एडवांस टैक्स जमा
एक वित्तीय वर्ष में ₹ 10,000 या उससे ज्यादा की अनुमानित कर देयता वाले हर करदाता को एडवांस टैक्स का भुगतान करना होता है। आईसीआईसीआई बैंक के मुताबिक, वेतनभोगी व्यक्ति अपनी नौकरी से अर्जित आय पर एडवांस टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। फ्रीलांसर सालभर में हासिल की गई अपनी विभिन्न आय के स्रोतों पर एडवांस टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। व्यवसायी अपनी कंपनी के जरिये हासिल इनकम पर धारा 44एडी की टैक्सेशन योजना के तहत एडवांस टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिक जिन्होंने किसी वित्तीय वर्ष में व्यवसाय से आय अर्जित की है, उन्हें एडवांस का भुगतान करना होगा।
एडवांस टैक्स जमा करने की जरूरी तारीखें
एडवांस टैक्स को साल भर में तय तारीखों तक में चुका देना होता है। 15 जून या उससे पहले 15%, 15 सितंबर या उससे पहले 45%, 15 दिसंबर या उससे पहले 75% और 15 मार्च या उससे पहले 100% तक एडवांस टैक्स चुका देना होता है।
एडवांस टैक्स चुकाना क्यों है अहम
आईसीआईसीआई बैंक के मुताबिक, एडवांस टैक्स एक विशेष वित्तीय वर्ष में अर्जित आय के लिए अग्रिम रूप से चुकाया जाने वाला आयकर है। आम तौर पर, टैक्स का भुगतान तब किया जाना चाहिए जब आय हासिल की गई हो। फिर भी, एडवांस टैक्स के टैक्स प्रावधानों के तहत, भुगतानकर्ता को पूरे वर्ष के लिए आय का अनुमान लगाना होता है। और इस अनुमान के आधार पर टैक्स का भुगतान निश्चित समय अंतराल पर किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि करदाता आय का अनुमान लगाए और फिर उस पर अनुमानित कर की गणना करे ताकि यह पता चल सके कि उसे अग्रिम कर का भुगतान करने की आवश्यकता है या नहीं और कितना।
डेडलाइन से चूकने पर कितना महंगा पड़ता है
आयकर की धारा 234बी के मुताबिक, आपको 31 मार्च तक अपने कुल टैक्स का कम से कम 90% एडवांस टैक्स या स्रोत पर कर कटौती/स्रोत पर कर संग्रह (टीडीएस / टीसीएस) के माध्यम से चुकाना होता है। अगर आप एडवांस टैक्स का भुगतान करने में विफल होते हैं तो आपको धारा 234बी के तहत अवैतनिक राशि पर 1% की ब्याज दर से ब्याज देना होगा।

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