प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया सीएस सुधांशु पंत का मंगलवार का कोटपूतली दौरा वर्ष 1984 में हुए जन आंदोलन के घटनाक्रम को ताजा कर गया। जब संभवत: देश की आजादी के बाद पहली बार जिला प्रशासन को लगभग ढाई घण्टे तक जनता की कैद में रहना पड़ा। लगभग 03 घण्टे तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल के खेद व्यक्त करने पर ही मामला शांत हुआ।
क्या था मामला
सीएस पंत मंगलवार को नवगठित जिला कोटपूतली-बहरोड़ के दौरे पर आये थे। सीएस पंत ने कस्बे के सराय मौहल्ला स्थित जिला कलेक्ट्रेट में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की एवं दिशा निर्देश दिये। दरअसल में सीएस पंत का दौरा क्षेत्र में विगत कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ था। इसी के चलते यहां की विभिन्न समस्याओं को लेकर आमजन भी मुख्य सचिव पंत से मिलने व ज्ञापन देने के लिये जिला कलेक्ट्रेट पहुंचने लगे। मुख्य सचिव के दौरे को देखते हुये पुलिस प्रशासन की तैयारियां भी चाक-चौबंद थी।
जिला कलेक्ट्रेट की ओर जाने वाले दोनों रास्तों को पुलिस द्वारा मॉनीटर किया जा रहा था। इसी दौरान निकटवर्ती ग्राम जोधपुरा के ग्रामीण अल्ट्राटेक सीमेंट की माइनिंग के चलते पुर्नवास की मांग को लेकर चल रहे धरने के संबंध में ज्ञापन देने के लिये संयोजक राधेश्याम शुक्लावास के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट जाने लगे तो उन्हें रास्ते में ही पुलिस द्वारा रोक दिया गया। बाद में राधेश्याम शुक्लावास कुछ धरणार्थियों को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में सीएस को ज्ञापन देने के लिये पहुंचे।
वहीं चतुर्भुज में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का विरोध कर रहे ग्रामीण भी सीएस को ज्ञापन देने के लिये जिला कलेक्ट्रेट पहुंच गये। इसके अलावा डीजे कोर्ट की मांग को लेकर वकीलों का शिष्टमंडल संघ के अध्यक्ष एड. उदयसिंह तंवर के नेतृत्व में एवं परिसीमन पर आपत्ति दर्ज कराने के लिये पूर्व चैयरमैन व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश चंद सैनी, कांग्रेस नेता रामनिवास यादव, पूर्व पार्षद हनुमान सैनी, सरपंच प्रतिनिधि जगमाल यादव समेत अन्य लोग भी अपने-अपने ज्ञापन लेकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंच गये। जिन्हें प्रशासन द्वारा एक कमरे में अलग से बैठा दिया गया।
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एक ओर जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेकर सीएस पंत रवाना हो गये। वहीं दूसरी ओर कमरे में बैठे परिवादी सीएस पंत का इंतजार करते रहे। जैसे ही उन्हें इस बात की सूचना मिली कि मुख्य सचिव रवाना हो गये है। वैसे ही उक्त सभी परिवादी आक्रोशित हो गये। सभी जिला प्रशासन पर अंधेरे में रखने एवं मुख्य सचिव से ना मिलाने के लिये गुमराह करने का आरोप लगाते हुये जिला कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर जमा होकर प्रदर्शन करने लगे। देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन धरने में तब्दील हो गया एवं आक्रोशित लोग जमकर नारेबाजी करने लगे।
इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा भी हो गया। प्रदर्शनकारियों में आक्रोश इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने जिला कलेक्ट्रेट पर ताला ही जड़ दिया। इस दौरान लगभग ढ़ाई घण्टे तक जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल, एसपी राजन दुष्यंत, एएसपी वैभव शर्मा, एडीएम ओमप्रकाश सहारण, एसडीएम बृजेश चौधरी, तहसीलदार रामधन गुर्जर व नगर परिषद आयुक्त धर्मपाल जाट समेत जिला प्रशासन ताले में ही बंद रहा। धरने पर पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना भी पहुंच गये।
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कसाना ने प्रदर्शनकारियों के साथ गेट पर मौजूद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाते हुये फटकार लगाई। बाद में मौके पर पहुंचे डीएसपी राजेन्द्र बुरडक व एसएचओ राजेश शर्मा की समझाइश पर परिवादियों का शिष्टमंडल कलेक्ट्रेट के सभागार में पहुंचा। इस दौरान पूर्व पार्षद तारा पूतली, वीके नवल शर्मा, अधिवक्ता अशोक सैनी, अधिवक्ता हेमंत शर्मा, अधिवक्ता सुभाष गुर्जर, अधिवक्ता दिनेश शर्मा, मनीष राव, सत्यम सुरेलिया, दिलीप यादव, चन्द्रशेखर शर्मा, जिला पार्षद प्रतिनिधि अमीचंद धानका समेत अन्य परिवादी भी सभागार में पहुंचे।
कलक्टेर के खेद व्यक्त करने पर हुआ मामला शांत
बता दें कि सभागार में एडीएम ओमप्रकाश सहारण, एएसपी वैभव शर्मा, आयुक्त धर्मपाल जाट व एसडीएम बृजेश चौधरी आदि ने परिवादियों की समस्या विस्तार से सुनी। आक्रोशित लोगों ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा ज्ञापन देने आये लोगों को कमरे में बंद रखकर कोटपूतली की जनता की अवहेलना की है। जिसे किसी सुरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने इसे मिस कम्यूनिकेशन बताया। साथ ही कहा कि जिन समस्याओं को लेकर परिवादी पहुंचे हैं, उन्हें पहले ही मुख्य सचिव के समक्ष बैठक के एजेंडे में रख दिया गया था।
पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना, पूर्व चैयरमैन प्रकाश चंद सैनी व अभिभाषक संघ अध्यक्ष एड. उदयसिंह तंवर समेत अन्य ने कहा कि जिला प्रशासन का व्यवहार निंदनीय रहा है। बैठक में पहुंचे जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल व एसपी राजन दुष्यंत ने भी सभी की समस्यायें सुनी। हालांकि परिवादियों ने अपने-अपने ज्ञापन मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत करने की बात कही। जिला कलेक्टर अग्रवाल ने संपूर्ण घटनाक्रम को लेकर खेद व्यक्त किया तो मामला स्वत: ही शांत हो गया।
