रेलवे पीआरओ खेमराज मीणा ने बताया कि ट्रेन बीकानेर से चलकर बिलासपुर जा रही थी। शाम करीब 5:30 बजे तराना रोड स्टेशन से पहले ट्रेन के पावर कोच में आग निकलने की घटना हुई। हादसे के बाद ट्रेन से इस डिब्बे को अलग कर दिया गया था। इस दौरान तराना से फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को बुलाकर आग पर काबू पा लिया है। आग लगने के बाद ग्रामीण भी ट्रेन में लगी आग को बुझाने के लिए पहुंचे। जिन्होंने कोच के कांच फोड़कर और पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया। कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया गया। इस हादसे में कोई भी जनहानि नहीं हुई है। अगर समय रहते रेलवे के जिम्मेदार और ग्रामीण जन अपनी सूझबूझ का परिचय नहीं देते तो जरूर बड़ी घटना घटी तो सकती थी।
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नया कोच आया फिर ट्रेन हुई भोपाल के लिए रवाना
जिस समय ट्रेन के एसएलआर डिब्बे में आग लगी थी उसे समय यह ट्रेन काली सिंध नदी के ब्रिज पर थी। इस दौरान रेलवे के कर्मचारियों के साथ मिलकर ग्रामीणों ने पावर कोच में लगी आग को बुझाने के लिए पानी और अन्य साधनों से व्यवस्था की गई। और आग पर काबू पाया। आग लगने के बाद ट्रेन को तराना स्टेशन पर रोक दिया गया था। इस दौरान आग पर काबू पाने के बाद उज्जैन रेलवे स्टेशन से पावर कोच मंगा कर 6:32 पर ट्रेन को भोपाल के लिए रवाना कर दिया गया।
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आग लगने से जनरेटर के अंदर हुए धमाके
सोर्स बताते है कि जनरेटर कोच में वायरिंग फाल्ट होने के कारण आग लगी थी। आग लगते ही जनरेटर के अंदर तेज धमाकों के साथ वायरिंग फॉल्ट हुई। इससे धुआं बाहर निकलने लगा। जब लोगों ने धुंआ निकलते देखा और तेज धमाकों की आवाज सुनी तो वो दहशत में आ गए और ट्रेन के रूकते ही अपने अपने कोच से नीचे उतर गए। कुछ ही देर में पूरी ट्रेन खाली हो गई और अफरा तफरी का माहौल बन गया। करीब पौन घंटे तक यह स्थिति बनी रही।

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