शनिदेव का आज 29 मार्च 2025 को मीन राशि में रात 9 बजकर 42 मिनट पर प्रवेश होगा। अब शनिदेव 7 मई 2027 तक वहीं रहेंगे। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों पर इसका असर देखने को मिलेगा। इस वर्ष राजा सूर्य होने के साथ संधि पर वर्षा के आने से वर्षा की कमी रहेगी और गर्मी अधिक रहेगी। उज्जैन पर भी इसका प्रभाव रहेगा। उज्जैन शहर में औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि होगी। साथ ही उत्तर पश्चिमी भाग में विकास होगा और आध्यात्मिक क्षेत्र के होने के कारण शहर की विश्वभर मे लोकप्रियता बढ़ेगी।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार शनिदेव आज कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसका प्रभाव कुछ राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक पड़ेगा। मीन राशि में शनि के उदय होने से सिंह और धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू होगा। शनि की ढैय्या के प्रभाव से धन हानि, कार्यों में बाधा और मानसिक तनाव झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में भी समस्याएं बढ़ सकती हैं। 13 जुलाई 2025 को शनि मीन राशि में वक्री होंगे और 28 नवंबर 2025 को मार्गी होंगे। शनि के वक्री होने की कुल अवधि 138 दिन की होगी। शनि की इस वक्री और मार्गी चाल का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। कुछ राशियों के लिए यह समय अनुकूल हो सकता है तो कुछ के लिए मुश्किल भरा। शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण मेष राशि पर शुरू होगा। मकर राशि के लोगों की साढ़ेसाती समाप्त होगी। मीन राशि के लोगों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण होगा। कुंभ राशि वालों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण होगा। कुछ राशियों को आकस्मिक धन लाभ, पदोन्नति और पारिवारिक समृद्धि के योग मिल सकते हैं। कुछ राशियों को व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सेहत को लेकर थोड़ा सजग रहने की जरूरत है। दूसरे चरण में शनि देव आपके कर्मों का लेनदेन करते हैं। इस दौरान आर्थिक तौर पर आपकी लाइफ में दिक्कतें सामने आती हैं। इन मुश्किलों से दूर रहने के लिए आपको शनि के उपाय जरूर कर लेने चाहिए। हेल्थ और मानसिक परेशानियां भी आपको सताएंगी।
न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्र में बदलाव के संकेत मिल रहे
ज्योतिर्विद पं. व्यास शनि का गोचर भारतीय वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। पूर्व की घटनाओं को देखें तो पाएंगे कि जब-जब शनि देव मीन राशि में आए हैं, तब-तब वैश्विक, जलवायु सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की लहर देखी और समझी जा सकती है। सूर्य पुत्र शनि मीन राशि में आ रहे हैं। शनि देव को कर्मफल दाता और संहारक ग्रह माना जाता है, जो न्याय का कारक होता है। जब यह मीन राशि में गोचर करता है, तो यह गहरे भावनात्मक और सामाजिक बदलाव लाता है। मीन राशि एक जल तत्व की राशि है, जिसके स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं। इसलिए शनि के गोचर से वैश्विक जल संकट, समुद्री गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन पर असर हो सकता है। साथ ही गुरु और शनि के संयोग या दृष्टि से न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्र में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
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जनता का ढोंगियों से विश्वास उठेगा
पं. व्यास के अनुसार वैश्विक स्तर पर देखा गया है कि शनि के मीन में गोचर के समय विश्व में विशेषकर यूरोप और अरब के क्षेत्र में युद्ध की तैयारियां होती हैं। भारत में आने वाले वर्षों में विकास देखा जा सकता है। साथ ही साथ उत्तर पश्चिमी राज्यों में राजनैतिक अस्थिरता रह सकती है। जनता का ढोंगियों से विश्वास उठेगा और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव देखा जा सकता है। टेक्नॉलजी के क्षेत्र में भी बड़े बदलाव देखे जाएंगे। पं. व्यास ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात और भूकंप, समुद्री क्षेत्रों में प्राकृतिक घटनाओं की संभावना। विध्वंसक मानसिकता, जातीय और धार्मिक संघर्ष बढ़ सकते हैं। पारिवारिक संरचना में बदलाव, विवाह, तलाक और रिश्तों के पैटर्न बदल सकते हैं।
ऐसी रहेगी वैश्विक आर्थिक स्थिति
ऐसे में आर्थिक मंदी का खतरा बना रहता है। कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अस्थिर हो सकती हैं। शनि मीन राशि में जाकर तकनीकी वित्तीय सुधारों को जन्म देगा। शनि न्यायधीश ग्रह है, बैंकिंग, वित्तीय घोटाले, भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा संभव है। अंतरिक्ष और एआई तकनीक का उछाल और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां नई खोज करेंगी। बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में नए आविष्कार, चिकित्सा क्षेत्र में नई दवाइयों और इलाज की खोजबीन होगी। विश्व स्तर पर आध्यात्मिक जागृति, नए धार्मिक, ध्यान और योग आंदोलन उभर सकते हैं। शनि का मीन राशि में गोचर 2025-2028 तक रहेगा, जो वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव ला सकता है। सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग कठोरता से अपनी नीतियों को लागू करने का प्रयास करेंगे, इससे देशों के बीच आपसी टकराव की स्थिति भी बन सकती है। एक दूसरे पर प्रतिबंध लगाने जैसे फैसले ले सकते हैं। भूगोल बदलने का भी प्रयास किया जा सकता है। छोटे देशों के सामने चुनौतियां आ सकती हैं। आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन होंगे, जिनका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा।
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काले रंग की वस्तुएं अर्पित करने से मिलेगी शांती
वैदिक ज्योतिषीय काल गणना से ऐसा प्रतीत होता है कि यह समय पुराने युग के अंत और नए युग की शुरुआत के लिए जाना जाएगा। शनिदेव का गोत्र कश्यप है, उनकी माता का नाम छाया और वे सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न हुए हैं। शनि को यमाग्रज, छायामार्तण्डसम्भूत, शनैश्चर आदि नामों से भी जाना जाता है। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं, शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि के मित्र ग्रह बुध और शुक्र हैं। शनि के शत्रु ग्रह सूर्य, चंद्रमा और मंगल हैं। नीलम शनि का रत्न है। शनि का प्रणाम मंत्र नीलाञ्जनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम है। शनि का वाहन सारंग (काला हिरण) है। शनि के गुरु शिव हैं। शनि को प्रसन्न करने के लिए काले रंग की वस्तुएं जैसे काला कपड़ा, तिल, उड़द, लोहे का दान या चढ़ावा दिया जाता है। शनि के दस नाम कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद और पिप्पलाद हैं।
