संयुक्त निदेशक कृषि विनोद कुमार जैन ने बताया कि ओस्तवाल कंपनी पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अंतर्गत कार्रवाई की गई। फैक्ट्री में सिंगल सुपर फॉस्फेट उर्वरक के बैग जमीन पर रखे गए थे, जिससे उनमें नमी पहुंचने की संभावना थी। इस पर टीम ने तत्काल नमूने लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण के निर्देश दिए और मानक अनुसार पाए जाने पर ही बिक्री की अनुमति देने को कहा। इसी तरह इंडियन पोटाश लिमिटेड फैक्ट्री में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि सिंगल सुपर फॉस्फेट उर्वरक के बैग निर्धारित बैच अनुसार संग्रहित नहीं किए गए थे। साथ ही बैच नंबर प्रिंट में कटिंग पाई गई। इसके चलते फैक्ट्री में रखे गए करीब 38,000 बैग के विक्रय पर रोक लगा दी गई। गायत्री स्पिनर कंपनी लिमिटेड में निरीक्षण के दौरान स्टॉक रजिस्टर में कांट-छांट पाए जाने पर फैक्ट्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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कार्रवाई के दौरान प्रयोगशाला विश्लेषक की योग्यता और प्रशिक्षण की जानकारी भी ली गई। निर्देश दिए गए कि विश्लेषकों को हर तीन साल में एक बार केंद्रीय उर्वरक नियंत्रण संस्थान, फरीदाबाद से प्रशिक्षण दिलाया जाए। साथ ही श्रमिकों के कार्य घंटे और निर्माण प्रक्रिया की भी विस्तृत जांच की गई। टीम के फैक्ट्री पहुंचने के बाद स्थानीय कृषि विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। इस दल में अतिरिक्त निदेशक कृषि भीलवाड़ा खंड इन्द्र सिंह संचेती, संयुक्त निदेशक कृषि विनोद कुमार जैन, उपनिदेशक उद्यान डॉ. शंकर सिंह राठौड़, सहायक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र सिंह राठौड़, किशन गोपाल जाट, कृषि अधिकारी सिद्धार्थ सोलंकी, प्रियंका पारीक और कजोड़ मल गुर्जर शामिल थे।
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इन अधिकारियों ने मौके पर सिंगल सुपर फॉस्फेट के नमूने लिए और निर्देश दिए कि भविष्य में उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत तय मानकों का कड़ाई से पालन हो। साथ ही स्थानीय उर्वरक निरीक्षकों को समय-समय पर सघन निरीक्षण करने और अनियमितता मिलने पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

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