UPI ट्रांजेक्शन करने पर अब देना होगा चार्ज! पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र
जब से यूपीआई बाजार में आया है, तब से ही वह लोगों के बीच ट्रांजैक्शन का एक जरिया बन गया है, लेकिन पिछले कुछ समय से भारत सरकार यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लगाने पर विचार कर रही है। इस पर पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी को एक लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लगाने वाली सरकार की इस नीति पर एक बार फिर विचार करने की मांग की है।
द इकोनॉमिक टाइम्स ने अपने दो सीनियर बैंक अधिकारियों के जरिए इस बात की जानकारी दी है की पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया यूपीआई और रुपे कार्ड पर किसी भी तरह की कोई मर्चेंट फीस न लगाने के पक्ष में है, वहीं भारत सरकार यूपीआई ट्रांजैक्शन और रुपे डेबिट कार्ड पर मर्चेंट फीस फिर से लगाने पर विचार कर रही है।
सरकार क्यों लगाना चाहती है चार्ज
फ़िलहाल की स्थिति में यूपीआई और रुपे कार्ड ट्रांजैक्शन पर किसी भी तरह का कोई एमडीआर नहीं है, क्योंकि इनको नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया मैनेज किया जाता है। लेकिन अब सरकार इस ट्रांजैक्शन पर भी चार्ज लगाने पर विचार बना रही है, खासकर बड़े मर्चेंट व्यापारियों पर।
बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी मीडिया खबरों के मुताबिक, सरकार को यह सुझाव दिया गया है कि जिन व्यापारियों का सालाना जीएसटी टर्नओवर 40 लाख रुपए से ज्यादा है, उनके ट्रांजैक्शन पर एमडीआर अप्लाई किया जाए।
पहले कैसे लिया जाता था मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR)
दरअसल, 2022 से पहले मर्चेंट को बैंक द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन अमाउंट का 0.8% से कम एमडीआर देना पड़ता था, लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ाने के लिए सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2022 के बजट में इस चार्ज को खत्म कर दिया था जिसके बाद यूपीआई देश में सबसे पसंदीदा पेमेंट गेटवे बन गया।
