Uttarakhand:महाराष्ट्र के रामगढ़ की तरह खतरे में हैं उत्तराखंड के 300 गांव, पुनर्वास की फाइल परवान नहीं चढ़ी – Heavy Rain Landslides Rockfalls 300 Villages In Uttarakhand Are In Danger Like Ramgarh In Maharashtra

उत्तराखंड
– फोटो : अमर उजाला
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महाराष्ट्र के रामगढ़ के इरसालबाड़ी में मूसलाधार बारिश के बीच भूस्खलन और पहाड़ टूटने से पूरा गांव मलबे में समा गया। बीते बुधवार रात हुई इस दुर्घटना में मलबे में दबने 16 लोगों की मौत हो गई और 48 परिवार बेघर हो गए। महाराष्ट्र की तरह ही उत्तराखंड में भी करीब 300 गांव ऐसे ही खतरे में हैं, जिनके पुनर्वास की फाइल तो बहुत पहले तैयार हो गई है, लेकिन परवान नहीं चढ़ पाई है।
उत्तराखंड में साल-दर-साल अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकटाव, भूधंसाव, भूकंप जैसी आपदाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जो आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हैं। तमाम गांवों में भवन में दरारें हैं और बुनियाद हिलने से खतरा बना हुआ है। इन आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास किया जाना है। वर्तमान में इनकी संख्या तीन सौ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इनमें से कई गांवों के लोग खुद अपना घर छोड़कर विस्थापन कर चुके हैं।
1446 परिवारों का ही पुनर्वास किया जा सका
पिथौरागढ़ जिले में पुनर्वासित किए जाने वाले गांवों में सर्वाधिक संख्या 129 है। इसके अलावा उत्तरकाशी में 62, चमोली में 61, बागेश्वर में 58, टिहरी में 33 और रुद्रप्रयाग में करीब 14 गांवों को पुनर्वासित किया जाना है। वर्ष 2012 से अब तक 88 गांवों के 1446 परिवारों का ही पुनर्वास किया जा सका है।
इधर, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि राज्य सरकार विस्थापन एवं पुनर्वास नीति के अंतर्गत आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास में जुटी है। शीघ्र ही इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। पुनर्वास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 31 गांवों के 336 परिवारों का पुनर्वास किया गया।

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