Vbabss President Said That There Is Need To Change Examination System Of Country To Prevent Paper Leaks – Amar Ujala Hindi News Live

विद्या भारती
– फोटो : विद्या भारती/vidyabharti.net
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नीट यूजी पेपर लीक मामले पर संघ से जुड़े शिक्षा संस्थान ने माना कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली में बदलाव की जरूरत है। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान (वीबीएबीएसएस) के अध्यक्ष डी रामकृष्ण राव ने कहा कि पेपर लीक और कोचिंग से बचने के लिए देश की परीक्षा पद्धति में अमूल चूल परिवर्तन करना होगा। उसके साथ स्कूलों में पढ़ाई का तरीका भी बदलना होगा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को भी आईआईटी जैसी फुलप्रूफ परीक्षा पद्धति पर काम करना होगा। इसके अलावा इंजीनियरिंग और नीट जैसी बड़ी परीक्षा में ओपन बुक एग्जाम जैसे प्रयोग करने चाहिए। इसमें छात्र के आईक्यू, इंटेलीजेंस, एटीट्यूट और एप्टीटूयड की परख हो सके।
दिल्ली में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने गुरुवार को अपना वार्षिक ब्यौरा पेश किया। देशभर में संस्थान के 12094 स्कूलों में 34 लाख से अधिक छात्र 20 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई कर रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत इन स्कूलों में किताबी शिक्षा के साथ छात्र के समग्र विकास पर जोर है। मेधावी छात्रों को विशेष कक्षाओं में मुफ्त में राष्ट्रीय दाखिला परीक्षाओं में भी मार्गदर्शन मिल रहा है। यही कारण है कि वर्ष 2024 की मेरिट में 10वीं के 2755 और 12वीं के 3922 छात्रों ने जगह बनाई है। जबकि 2023 में 16 छात्रों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की है।
आईआईटी परीक्षा पद्धति की तारीफ
राव ने आईआईटी परीक्षा पद्धति की तारीफ की। उन्होंने कहा कि उनकी परीक्षा के पेपर लीक नहीं, बल्कि फुलप्रूफ हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को उनसे परीक्षा का पैटर्न सीखना होगा। उनकी परीक्षा में इन्हीं बिंदुओं पर फोकस किया जाता है। हमें पूरा यकीन है कि डॉ. राधाकृष्णन समिति अच्छे सुझाव और सिफारिशें देंगी।
छात्रों को विशेष कक्षाओं में करवाएं तैयारी
कार्यक्रम में उनसे पेपर लीक पर सरकार को सुझाव भेजने की जानकारी मांगी गई। इस पर संस्थान के अध्यक्ष ने कहा नीट पेपर लीक मामले के बाद एनटीए रिफॉर्म के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति को सुझाव भेजे हैं। पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. राधाकृष्णन समिति ने सभी से सुझाव आमंत्रित किए हैं तो हमने भी दिए हैं। समाज और बच्चों के भविष्य के लिए समिति को सुधार भेजे गए हैं। हमारा मानना है कि स्कूली शिक्षा में पढ़ाई और पढ़ाने के तरीके में सबसे पहले बदलाव करना होगा। छात्र को गुणवत्ता के साथ समग्र शिक्षा देनी होगी। इसके अलावा इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि क्षेत्रों में भविष्य बनाने की चाह रखने वाले छात्रों को स्कूलों में ही मुफ्त में विशेष कक्षा लगाकर तैयारी करवानी होगी। विद्या भारती स्कूलों में हमने यह प्रयोग किए हैं और सफलता मिली है।

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