
कपूरथला पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से इस साल के विषय “ग्लेशियर के संरक्षण” पर केंद्रित विश्व जल दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में स्थायी जीवन और जल चक्र को बनाए रखने में ग्लेशियर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पिघलते ग्लेशियर और जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों को तुरंत रोकने के लिए कार्रवाई करने के प्रति जागरूकता पैदा करना था। इस मौके पर लगभग 100 के करीब विद्यार्थियों और अध्यापकों ने हिस्सा लिया और बच्चों के नुक्कड़ नाटक और कैप्शन लिखने के मुकाबले भी करवाए गए। इस कार्यक्रम दौरान ग्लेशियर की महत्ता और उसके संरक्षण पर जोर दिया गया।
इस मौके साइनस सिटी के निदेशक डा. राजेश ग्रोवर ने कहा कि जैसे-जैसे विश्व का तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं, इन्हीं कारणों से जल चक्र में ऐसे बदलाव हो रहे हैं जिनकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उनहें कहा कि ग्लेशियर के पिघलने के कारण जहाँ कई स्थानों पर बाढ़ का संकट पैदा हो गया है, जमीन खिसक रही है और समुद्री पानी का स्तर भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, वहाँ ऐसा व्यवहार पृथ्वी के इको सिस्टम और समाज के लिए बेहद खतरनाक है। इस मौके डॉ.ग्रोवर ने ग्लेशियरों के पुनर्स्थापन, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक जल संकट की चुनौतियों के समाधान के लिए एकजुट होकर हमले करने का आह्वान किया और कहा कि ग्लेशियरों की सुरक्षा के लिए युवा वर्ग अहम भूमिका निभा सकता है।
भूमि प्रबंधन उप-डिविजन अधिकारी जलंधर इंजीनियर लुपिंदर कुमार इस मौके पर विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने बच्चों के साथ स्थायी जल प्रबंधन पर विशेष जानकारी साझा की। उन्होंने पंजाब के पानी की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि पंजाब में पानी की कुल उपलब्धता 52.85 बिलियन क्यूबिक मीटर है, जबकि इस समय मांग 66.12 बिलियन क्यूबिक मीटर है। इस कारण हम 13.27 बिलियन क्यूबिक मीटर की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने पानी की कमी की पूर्ति और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी जल प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए व्यवहारिक हलों को तुरंत लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भूमिगत जल की बहाली और सतही जल के भंडारण के लिए बारिश के पानी को संजोने जैसे परियोजनाओं के संबंध में बच्चों को जानकारी दी। उन्होंने प्रत्येक को जल संभार के लिए कारगर अभ्यासों को अपनाने की अपील की और इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आज का कार्यक्रम यह संदेश देता हुआ सफलतापूर्वक समाप्त हो गया कि जल की संभाल—सुरक्षा के यत्न करने के लिए केवल सरकारों की जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि हम सभी का यह फर्ज है कि इसके प्रति जागरूक हो जाएं।
