Visit Haridwar Daksh Ghat for Shradh Pitru Paksha having great religious importance Shradh 2024: भोलेनाथ के ससुराल में बसा है ये प्राचीन घाट, पितरों का श्राद्ध करने पर सीधा स्वर्ग में मिलता है वास, Travel news in Hindi
स्वयं श्री हरि की नगरी कहे जाने वाले ‘हरिद्वार’ का धार्मिक रूप से बड़ा ही महत्व है। यहां मां गंगा के किनारे बसते हैं ढेरों प्राचीन मंदिर और घाट। इन सभी का अपना विशेष स्थान और महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां के हर एक मंदिर और घाट की अपनी अलग कहानी है। पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में ढेरों श्रद्धालु गंगा किनारे बसे इन घाटों पर पहुंचते हैं। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा – पाठ करते है। इन्हीं घाटों में से एक है दक्ष घाट। कहा जाता है कि इस घाट पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। तो चलिए आज धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस घाट के बारे में जानते हैं।
महादेव के ससुराल में बसता है ये दिव्य घाट
प्रसिद्ध दक्ष घाट, हरिद्वार शहर की उपनगरी कनखल में बसे अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध ‘दक्षेश्वर महादेव मंदिर’ के पास स्थित है। इस घाट का धार्मिक महत्व बहुत ही ज्यादा है। देश-विदेश से लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर स्नान करते हैं और पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर पितरों के लिए निर्मित कार्य करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होकर सीधे स्वर्ग में वास करती है।
दक्ष घाट का पौराणिक महत्व
हरिद्वार की उपनगरी कनखल एक ऐतिहासिक नगरी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये नगरी भगवान शिव का ससुराल और राजा दक्ष की राजधानी है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर ‘दक्षेश्वर महादेव मंदिर’ स्थित है जिसमें भगवान शिव की प्रतिमा के साथ राजा दक्ष के कटे हुए सिर की पूजा की जाती है। इसी मंदिर के पास दक्ष घाट बनाया गया है। बताया जाता है कि जब गंगा जी पहाड़ी क्षेत्र से, मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती हैं तो गंगा जी की तीन धाराओं में से एक धारा, सती कुंड से होते हुए, ‘दक्षेश्वर महादेव मंदिर’ तक पहुंचती है। यहीं पर दक्ष घाट बनाया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त दक्ष घाट में स्नान करने के बाद मंदिर में शिव जी का अभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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