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हेडलाइंस

What Was Done To Rescue Chetna Who Was Trapped In The Borewell? – Amar Ujala Hindi News Live


What was done to rescue Chetna who was trapped in the borewell?

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नहीं रही मासूम चेतना
– फोटो : अमर उजाला

राजस्थान के कोतपूतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना को बाहर निकाल लिया गया है। लेकिन, चेतना में कोई चेतना नहीं बची है। बुधवार को 10वें दिन बोरवेल से उसकी लाश बाहर निकली है। बेटी की मौत से मां और परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। मासूम की मौत से किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में मातम छाया हुआ है। परिवार के साथ गांव वाले भी मायूस हैं।




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रेस्क्यू ऑपरेशन का दृश्य
– फोटो : अमर उजाला

दरअसल, तीन साल की चेतना 23 दिसंबर को खेलते समय 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी। वह 150 फीट की गहराई पर अटक गई थी। देसी जुगाड़ के जरिए उसे तीस फीट ऊपर खींच लिया गया था। लेकिन, फिर उसे देसी जुगाड़ से और ऊपर नहीं लाया जा सका। इसके बाद बोरवेल के पास एक 170 फीट गहरा गड्ढा किया और फिर बोरवेल तक सीधी सुरंग बनाकर एनडीआरएफ के जवान चेतना तक पहुंचे। जिसके बाद उसे बाहर निकाला गया। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चेतना सबको छोड़कर जा चुकी थी। परिवार लगातार रेस्क्यू अभियान में लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहा था।      


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मासूम चेतना
– फोटो : अमर उजाला

अब जानिए, किस दिन क्या हुआ? 

23 दिसंबर: कोटपूतली के किरतपुरा क्षेत्र के बड़ीयाली ढाणी में दोपहर करीब 1:50 बजे तीन साल की बच्ची चेतना बोरवेल में गिरी थी। करीब 10 मिनट बाद परिजनों को बच्ची के राने की आवाज सुनाई दी, तब उन्हें पता चला कि वह बोरवेल में गिर गई है। तत्काल परिजनों ने प्रशासन को सूचना दी। दोपहर 2:30 बजे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। 3:20 बजे मेडिकल टीम घटनास्थल पर पहुंची। 3:45 पर पाइप के जरिए बच्ची को ऑक्सीजन पहुंचाई गई। 5:15 पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। रात 8:45 पर देसी जुगाड़ के एक्सपर्ट जगराम अपनी टीम के साथ बच्ची को रेस्क्यू करने पहुंचे। इसी दिन रात तीन बजे तक अंब्रेला और रिंग रॉड से बच्ची को रेस्क्यू करने के दो प्रयास किए गए, लेकिन दोनों ही असफल रहे। 


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रेस्क्यू मे जुटी थी एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम
– फोटो : अमर उजाला

24 दिसंबर: सुबह 5:30 बजे से प्रशासन फिर सक्रिय हुआ। अधिकारियों ने परिजनों से चेतना को हुक में फंसाकर बाहर निकालने की अनुमति ली। 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया। लगातार अफसल होने के बाद प्रशासन ने हरियाणा के गुरुग्राम से पैरलल गड्डा खोदने के लिए पाइलिंग मशीन मंगवाई। रात करीब 11 बजे मशीन मौके पर पहुंची। 

25 दिसंबर: 8:00 बजे से पाइलिंग मशीन से गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया। दोपहर एक बजे तक 40 फीट सुरंग करने के बाद पाइलिंग मशीन बंद की गई। शाम पांच पाइलिंग मशीन के साथ 4 फीट मोटा बिट असेंबल किया गया है। 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया। शाम छह बजे 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची। इसे चलाने के लिए गुजरात से एक और टीम भी पहुंची। आठ बजे रेट माइनर की टीम पहुंची। नौ बजे बच्ची की माता घोली देवी की तबीयत बिगड़ी। रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची। 

26 दिसंबर: सुबह 10 बजे पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन को रोका गया। छह घंटे में मशीन से पत्थर को काटा गया। शाम करीब छह बजे गड्ढे की गहराई चेक की गई, इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटाया गया। 6:30 बजे से क्रेन से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाना शुरू किए गए।

27 दिसंबर: दोपहर करीब 12  बजे तक 170 फीट गहरे खोदे गए गड्ढे में लोहे के पाइप फिट किए गए। 12:40  बजे इन पाइप का वजन उठाने के लिए 100 टन क्षमता की मशीन मौके पर बुलाई गई। करीब एक बजे मौसम बदलने के कारण हुई बारिश से पाइप वेल्डिंग का काम रुक गया। शाम पांच बजे वेल्डिंग का काम दोबारा शुरू किया गया, जो देर रात तक चलता रहा। 


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बचाव कार्य में जुटी थी टीम
– फोटो : अमर उजाला

28 दिसंबर: एनडीआरएफ के 6 जवानों की टीम बनाई गई। दो-दो जवानों को सुरंग खोदने के लिए 170 गहरे गड्ढे में उतारा गया। इन जवानों ने चार फीट सुरंग खोदी।      

 

29 दिसंबर: सुरंग की खोदाई जारी रही, बीच में आ रहे पत्थरों को तोड़ने के लिए कंप्रेसर मशीन मंगवाई गई। मांइस एक्सपर्ट को बुलाकर पत्थर काटने की तकनीक समझी।  

30 दिसंबर: प्रशासन और एनडीआरएफ के अधिकारियों ने दावा किया कि चेतना को आज (सोमवार को) बाहर निकाल लेंगे। लेकिन, पत्थरों और अन्य कारणों से इसमें फिर देरी हो गई। सुरंग खोद रहे जवानों को अंदर सांस लेने में भी परेशानी हुई।

31 दिसंबर: एनडीआरएफ के जवानों ने 10 फीट गहरी सुरंग की खोदाई पूरी की। लेकिन, सुरंग की खोदाई गलत दिशा में हो गई। जवानों को बोरवेल नहीं मिला। इसके बादा जीपीआर मशीन की मदद से बोरवेल की लोकेशन को ट्रेस कर फिर सुरंग खोदी गई। 

एक जनवरी 2025: 10 दिन बाद चेतना को बाहर निकाला गया। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चेतना की मौत हो चुकी थी।




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