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What Will Be Left With Kumaon If The Uttarakhand High Court Is Shifted – Amar Ujala Hindi News Live


What will be left with Kumaon if the Uttarakhand High Court is shifted

उत्तराखंड हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


उत्तराखंड हाइकोर्ट की शिफ्टिंग का मामला एक बार फिर अधर में लटक गया है। मुख्य न्यायाधीश ने गौलापार को इसके लिए अनुपयुक्त बताते हुए अधिवक्ताओं से नए सिरे से इसके लिए स्थान सुझाने को कहा है। बीते पांच वर्षों से जहां अधिवक्ताओं के बीच भी इस मामले में एक राय नहीं बन सकी और विभिन्न स्थानों को लेकर उनकी ओर से प्रस्ताव और दावे आते रहे वहीं शासन, प्रशासन और सरकारी एजेंसियां भी इस मामले में इतनी भ्रमित नजर आईं कि जिस प्रस्ताव को एक सरकारी संस्था बहुत ही उपयुक्त बताती थी दूसरी उसे सिरे से खारिज कर देती थी।

काफी मशक्कत के बाद गौलापार में कोर्ट बनाने की दिशा में आधी अधूरी सहमति के बाद सरकार की ओर से कैबिनेट मीटिंग में इसकी सहमति दे दी गई और केंद्रीय न्याय मंत्रालय ने भी उस पर सहमति जता दी तो सरकार की ही एक अन्य संस्था ने प्रस्ताव को अनुपयुक्त बताते हुए स्वीकृति देने से इंकार कर दिया।

ये पढ़ें- Uttarakhand: हाईकोर्ट के इस आदेश से मची खलबली, बुलानी पड़ी आपात मीटिंग; वकीलों में भारी रोष…जानें मामला

आनन फानन में इसके लिए बेल बसानी की भूमि सुझाई गई तो पता चला वहां की भूमि इस लायक है ही नहीं जिस पर कोर्ट बन सके और अब आखिरकार हाइकोर्ट ने स्वयं ही गौलापार को इसके लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया है। इससे मामला अब फिर वहीं पहुंच गया है जहां से पांच वर्ष पहले शुरू हुआ था।

वर्ष 2000 में पृथक राज्य बनने पर 9 नवंबर 2000 को हाइकोर्ट की स्थापना की गई थी। तब केंद्रीय कानून मंत्री अरुण जेटली का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। 2019 में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को पत्र देकर कोर्ट को यहां से हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग की। हाइकोर्ट ने 26 जून 2019 को अपनी वेबसाइट पर शिफ्टिंग के स्थानों को लेकर सुझाव आमंत्रित किए। अधिवक्ता इस पर आपस में बंट गए और कोर्ट को नैनीताल में ही रहने देने से लेकर हल्द्वानी, रामनगर, रूड़की, हरिद्वार, रुद्रपुर देहरादून, अल्मोड़ा और गैरसैंण में स्थापित करने के सुझाव आए जिनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन था। लेकिन बाद में गौलापार में वन विभाग की जू के लिए प्रस्तावित भूमि के एक भाग में इसे स्थापित करने की सहमति हाइकोर्ट ने दी।

16 नवंबर 2022 को प्रदेश के पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। 24 मार्च 2023 को इसके लिए केन्द्र सरकार ने भी सैद्धांतिक सहमति दे दी। केंद्रीय विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने उत्तराखंड सरकार से इसके लिए उपयुक्त जमीन उपलब्ध कराने का को कहा। केंद्र ने यह शर्त भी रखी कि हल्द्वानी में हाईकोर्ट के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के बाद केंद्र सरकार हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की अधिसूचना की प्रक्रिया शुरू करेगी। सरकार ने इसके लिए गौलापार की भूमि को उपयुक्त बताया और 12 जनवरी 2024 को धामी सरकार की कैबिनेट ने नियोजित विकास के उद्देश्य से गौलापार के आस-पास की भूमि की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी और वहां फ्रीज जोन घोषित कर दिया।

इसके लिए एक वर्ष में महायोजना बनाने का भी निर्णय लिया गया। इस बीच 24 जनवरी को केंद्र सरकार के अधीन हाई इम्पावर्ड कमेटी ने वन भूमि हस्तातंरण का प्रस्ताव खारिज कर दिया। तब शासन ने इसके लिए बेल बसानी में भूमि सुझाई जो कहीं से भी उपयुक्त नहीं पाई गई। अब छह मई 2024 को ही फिर से शासन ने गौलापार में 20.08 का प्रस्ताव नए सिरे से भेजने का फैसला करते 10 मई तक भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को परिवेश पोर्टल में अपलोड करने के निर्देश दिए। इस पर कोई कार्यवाही होने से पहले इसके दो ही दिन बाद हाइकोर्ट ने बुधवार को गौलापार को अनुपयुक्त बताते हुए नए सिरे से स्थान को लेकर सुझाव मांगे हैं।



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