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Yamuna Flood:दिल्लीवालों पर बारिश के साथ बाढ़ का खतरा बढ़ा, यमुना तराई में मुसीबतें अपार, एक को सांप ने डसा – Yamuna Flood: Flood Threat Increases With Rain On Delhiites


विस्तार

दिल्लीवालों को बारिश के साथ ही अब बाढ़ ने खतरे में डाल दिया है। मुसीबतें बढ़ने के पूरे आसार हैं क्योंकि बारिश का थमा हुआ सिलसिला फिर शुरू होने वाला है और हरियाणा का पानी यमुना जलस्तर बढ़ा रहा है जो पहले ही खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। दिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह भी बारिश होगी और 15-16 तारीख के लिए बारिश का यलो अलर्ट है। ऐसे में दिल्लीवालों पर बारिश के साथ बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है। 

हरियाणा के हथिनीकुंड से लगातार पानी छोड़े जाने से मंगलवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर पहुंच गया। इस कारण यमुना बाजार व मॉनेस्ट्री समेत तटों के किनारे बसीं कई कालोनियों में पानी भर गया है। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

वहीं, खादर की झुग्गियों से करीब 27 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। इनके लिए राहत शिविर लगाए गए हैं। जल स्तर बढ़ने से पुराना लोहे का पुल बंद कर दिया गया है। इसके ऊपरी हिस्से में न तो ट्रेनें गुजर रहीं हैं, न ही निचले हिस्से से वाहन। ट्रेनों का रूट परिवर्तित किया गया है। कई ट्रेनों को दिल्ली से पहले के स्टेशनों पर आपातकालीन स्थिति घोषित कर रोका गया है। दो दिनों से दिनभर में हथिनीकुंड से हर घंटे दो लाख क्यूसेक से ज्यादा छोड़ा जा रहा है। मंगलवार शाम शाम छह बजे भी 2,49,183 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। 

इससे दिल्ली में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़कर 206.67 मीटर तक पहुंच गया। इसका असर यमुना तट के किनारे बसी कालोनियों में भी दिख रहा है। यमुना बाजार, बुराड़ी में नत्थूपुरा कॉलोनी, तिब्बती मार्केट समेत कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। 

बुराड़ी के खादर क्षेत्र से 18 को निकाला

बुराड़ी के खादर क्षेत्र में बचाव दल ने करीब 18 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। इसमें छह महीने के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। बोट क्लब के अधिकारियों के मुताबिक, बचाव के लिए 43 बोट तैनात की गई हैं।

तराई से निकलने को तैयार नहीं थे लोग

लोग खड़ी फसल छोड़कर तराई इलाके से निकलने को तैयार नहीं थे। पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन की तरफ से जानकारी मिली कि सोमवार को रात 11 बजे से लोगों को तराई इलाके को खाली करने के लिए कह दिया गया था, लेकिन लोग झुग्गियों छोड़ने को तैयार नहीं थे। रात में करीब 30-40 फीसदी लोग बाहर आए। सुबह पानी बढ़ने लगा तो आधे लोग ऊपरी इलाके में पहुंचे। अभी भी 30 फीसदी लोग अंदर ही थे। इन्हें बाढ़ क्षेत्र से बाहर सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एसडीएम और तहसीलदार को सिविल डिफेंस कर्मियों के साथ मैदान में उतरना पड़ा। 

चिल्ला से एनएच-24 तक तीन किमी तक टेंट

यमुना की तराई से निकाले लोगों के लिए चिल्ला से एनएच-24 तक, डीएनडी से निजामुद्दीन फ्लाइओवर और यमुना बैंक से आईटीओ पुल तक राहत शिविर लगाए गए हैं। यहां खाने-पीने का इंतजाम है। सहायता समूहों की ओर से मेडिकल कैंप भी लगा दिए गए हैं। रात में निकाले लोगों को यहां सुबह करीब नौ बजे खाना दिया गया था और दोपहर में करीब डेढ़ बजे टेंट लगाने शुरू किए गए। नोएडा-दिल्ली लिंक रोड पर करीब 1000 राहत शिविर लगाए गए हैं। डूसिब की तरफ से यहां पर मोबाइल टॉयलेट लगाने की तैयारी की जा रही थी।

सांप व बिच्छू का खतरा बढ़ा, एक बच्चे को डसा

मयूर विहार सब डिवीजन के तहसीलदार विनोद कुमार सिंह ने बताया कि रात में पानी बढ़ने पर ऊंची व सूखी जगहों पर पानी भरने लगा तो सांप व बिच्छू निकलने लगे। लोगों को उनके घरों के पास जाकर समझाने की कोशिश की गई कि अब तराई इलाके में रहना उनके लिए सुरक्षित नहीं है। बाढ़ का खतरा होने के साथ-साथ सांप-बिच्छू भी लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं। इस बीच पता चला कि मयूर विहार पुस्ते के नीचे एक बच्चे को सांप ने डस लिया है। उसे तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। तत्काल इलाज के कारण उसकी जान बची। बच्चे की हालत अब ठीक है। 

1978 की बाढ़ ने तोड़ दिया था रिकाॅर्ड

1978 में दिल्ली में यमुना की बाढ़ ने कई रिकार्ड तोड़ दिए थे। इसमें करीब 43 वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि जलमग्न होकर बर्बाद हो गई थी। लाखों लोग बेघर हो गए थे। उस समय यमुना के लोहे के पुल पर जलस्तर 207.49 मीटर पहुंच गया था, तब यमुना के किनारों पर पुस्ते नहीं बनाए गए थे। इसके बाद दो बार और यमुना का जलस्तर 207 मीटर के निशान के पार गया है। 2010 (207.11 मीटर) और 2013 (207.32 मीटर) में दिल्ली को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। कश्मीरी गेट तक यमुना का पानी पहुंच गया था।

पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी चिंतित 

तिब्बती कॉलोनी की बढ़ती समस्या को देखते हुए पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को डर सताने लगा है। यमुना के आसपास की झुग्गियों में रहने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। यहां 15 झुग्गियां बाढ़ के पानी में हैं। बाढ़ से परेशान लोग घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं। शरणार्थी राहुल ने बताया कि रात को हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न घट जाए। 

52 से अधिक ट्रेनें प्रभावित, 21 निरस्त

पुराना लोहे का पुल बंद होने से मंगलवार को पुरानी दिल्ली से चलने वाली 52 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुईं। इनमें से 21 निरस्त रहीं तो 31 परिवर्तित रूट से चलीं। इससे दिल्ली आसपास के लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। दिल्ली से खुर्जा, शामली, बरेली, सहारनपुर, गाजियाबाद, पलवल, दनकौर समेत अन्य जगहों पर आने-जाने में बेहद कठिनाई हुई। बुधवार को भी इस समस्या से यात्रियों की परेशानी बढ़ेगी।  निरस्त रहने वाली ट्रेनों में मुख्य रूप से दिल्ली-खुर्जा स्पेशल, दिल्ली-बरेली स्पेशल, सहारनपुर-दिल्ली स्पेशल, गाजियाबाद-दिल्ली स्पेशल, ट्रेन संख्या 04959 गाजियाबाद-दिल्ली स्पेशल, ट्रेन संख्या 04941 गाजियाबाद-दिल्ली स्पेशल, ट्रेन संख्या 20412 सहारनपुर-दिल्ली एक्सप्रेस, ट्रेन संख्या 04932 दिल्ली-दनकौर स्पेशल, पलवल-गाजियाबाद, दिल्ली-शामली स्पेशल, दिल्ली-शामली-सहारनपुर स्पेशल, दिल्ली-गाजियाबाद, दिल्ली-सहारनपुर, साहिबाबाद-दनकौर, बरेली-दिल्ली स्पेशल शामिल हैं।

यात्रियों की बढ़ेगी परेशानी

लखनऊ रेल मंडल में नॉन इंटरलॉकिंग की वजह से इस रूट पर चलने वाले यात्रियों को परेशान होना पड़ेगा। तकनीकी काम की वजह से करीब 20 ट्रेन निरस्त रहेंगी तो कई परिवर्तित रूट से चलेंगी। 11 से 18 जुलाई को ट्रेन संख्या 05091, 05453 गोंडा-सीतापुर, 05454 गोंडा-सीतापुर, ट्रेन संख्या 05459/05460 सीतापुर-साहजहांपुर-सीतापुर निरस्त रहेंगी। इसके अलावा 13 जुलाई को ट्रेन संख्या 05231 बरौनी-आनंद विहार, ट्रेन संख्या 05274 अमृतसर-समस्तीपुर स्पेशल निरस्त रहेंगी तो 14 जुलाई को ट्रेन संख्या 05232 आनंद विहार-बरौनी, ट्रेन संख्या 05267 जयनगर-अमृतसर निरस्त रहेंगी। ट्रेन संख्या 05268 अमृतसर-जयनगर 16 जुलाई को निरस्त रहेगी। 11 से 17 जुलाई को ट्रेन संख्या 15212 अमृतसर-दरभंगा और ट्रेन संख्या 14618 अमृतसर-बनमंखी एक्सप्रेस निरस्त रहेंगी। ट्रेन संख्या 22551 दरभंगा-जालंधर सिटी और ट्रेन संख्या 15273 रक्सौल-आनंद विहार प्रभावित होंगी। 

लंबी दूरी की कई ट्रेनें निरस्त, कई डायवर्ट

हिमाचल व उत्तराखंड में भूस्खलन, रेल लाइन पर पत्थर गिरने और नदियों के उफान की वजह से लंबी दूरी की ट्रेनें भी निरस्त कर दी गई हैं। हरिद्वार से आगे देहरादून जाने वाली ट्रेनें हरिद्वार में ही रोक दी गईं। रेलवे के अनुसार, आनंद विहार-देहरादून, सहारनपुर-देहरादून, हरिद्वार-ऋषिकेश, ऋषिकेश-चंदोसी, ऋषिकेश-हरिद्वार, जम्मूतवी-भागलपुर, जम्मूतवी-नई दिल्ली, श्री माता वैष्णो देवी कटरा-नई दिल्ली, उधमपुर-दिल्ली सराय रोहिल्ला, ट्रेन संख्या 22462 श्री माता वैष्णो देवी कटरा-नई दिल्ली, हरिद्वार-बीकानेर, जम्मूतवी-अजमेर, साबरमती-दौरलतपुर चौक, नई दिल्ली-देहरादून समेत 14 ट्रेन निरस्त रहीं तो 15 ट्रेन परिवर्तित रूट से चलीं। 

तैयारियों पर समीक्षा बैठक

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी ने मानसून की तैयारियों पर समीक्षा बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को हाल में हुई भारी वर्षा के कारण रेल परिचालन में हुई बाधा के चलते उत्पन्न होने वाली स्थितियों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए। अधिकारियों से सुरक्षा के प्रति किसी भी प्रकार की कोताही न बरतते हुए रेल परिचालन को सुगम बनाए रखने के लिए कहा। महाप्रबंधक ने ‘संरक्षा पुस्तिका’ का विमोचन भी किया।

2700 टेंट लगाए, 27 हजार लोगों ने ली शरण

बढ़ते जलस्तर को देखते हुए यमुना किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। सरकार लोगों के लिए राहत व बचाव कार्य कर रही है। लगभग 2700 टेंट का इंतजाम किया गया है। इनमें 27 हजार लोगों ने शरण ली है। प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दिल्ली के अलग-अलग जिलों में बने शिविरों में स्थानांतरित किया जा रहा है।

विकास मंत्री गोपाल राय ने राजघाट डीटीसी डिपो के पास बने राहत शिविर का मंगलवार को जायजा लिया। उन्होंने कहा कि भारी बरसात व हरियाणा से भी लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। ऐसे में दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चूका है, लेकिन सरकार हर तरह के खतरे से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। राजघाट डीटीसी डिपो के पास बने राहत केंद्र में 126 लोग रह रहे हैं। साथ ही, जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी टीमें अलर्ट पर रहें। ब्यूरो 

इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सड़क धंसी

राजधानी में सड़क धंसने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। मंगलवार को इंडिया गेट के पास शाहजहां रोड व ग्रेटर कैलाश में सावित्री सिनेमा के पास सड़क धंस गई। इससे यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई। इन स्थानों पर रास्ता संकरा होने से जाम की स्थिति पैदा हो गई। हालांकि, दोनों स्थानों पर सड़क सही करने का कार्य कुछ देर बाद ही शुरू कर दिया गया। एनडीएमसी ने इंडिया गेट तो पीडब्ल्यूडी ने ग्रेटर कैलाश की सड़क को दुरुस्त किया।

तिब्बती कॉलोनी व यमुना बाजार की हालत खराब

मजनूं का टीला के पास तिब्बती कॉलोनी तक यमुना का पानी पहुंच गया है। यमुना में तेजी से बढ़ते जलस्तर के कारण यहां पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की बस्ती में चिंता व्याप्त होने लगी है। कॉलोनी की गलियां लबालब भर गई हैं। इससे लोगों का घर से बाहर निकलना दुष्वार हो गया है। सबसे अधिक परेशानी बच्चों, बुजुर्ग व महिलाओं को हो रही है। कई लोग घरों की पहली मंजिल पर रह रहे हैं तो कुछ बच्चों को लेकर दूसरे सुरक्षित स्थान पर पनाह ले रहे हैं। मोनेस्ट्री मार्केट में भी पानी पहुंच गया है। इधर, निगमबोध घाट के पास स्थित यमुना बाजार में भी पानी घरों में घुस गया है। यहां कमर तक पानी पहुंच गया है। इससे लोगों की आवाजाही बंद हो गई है। यहां सिविल डिफेंसकर्मी तैनात हैं। यहां से लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है। यमुना बाजार में रहने वाले अंकित ने बताया कि घर पूरी तरह से पानी से लबालब हो गए हैं। मजबूरी में घर को छोड़ना पड़ा है।

एलजी ने की समीक्षा बैठक 

जलभराव वाले क्षेत्रों के दौरे के बाद उपराज्यपाल ने पीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी, एमसीडी, डीजेबी, आई एंड एफसी और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में दिल्ली की स्थिति और जलभराव से निपटने के लिए समाधान पर चर्चा की गई। उपराज्यपाल ने  प्रगति मैदान टनल में बाढ़ की समीक्षा के लिए आईटीपीओ के अध्यक्ष और मुख्य सचिव के साथ भी एक अन्य बैठक की। साथ ही प्राथमिकता के आधार पर इंजीनियरिंग को समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। 

जलभराव पर सरकार-एलजी आमने-सामने

जलभराव के बाद उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच ठन गई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसके लिए केजरीवाल सरकार की लापरवाही बताया है। उधर, मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसका ठीकरा एलजी पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि एलजी अधिकारियों को काम नहीं करने देते हैं।

मंगलवार सुबह दौरे पर निकले उपराज्यपाल ने कहा कि नालों और सीवर की सफाई होनी चाहिए थी।  सफाई नहीं होने से लोगों को जलभराव से जूझना पड़ा। यदि सफाई पर सालों से काम किया जा रहा होता तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। यमुना और नजफगढ़ नाले से गाद निकालने का काम नियमित रूप से किया जाना चाहिए। कोशिश करूंगा कि इस सब पर ध्यान दिया जाए ताकि लोगों को इसका सामना न करना पड़े। प्रकृति किसी भी समस्या के बारे में नहीं बताती, हमें इसके लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। 

वहीं, मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी अधिकारियों को काम करने नहीं देते। वह केवल काम का श्रेय लेना चाहते हैं। छह महीनों में उपराज्यपाल घूम-घूमकर नजफगढ़ ड्रेन, शाहदरा ड्रेन और यमुना की सफाई का क्रेडिट ले रहे हैं। अब इनमें से गाद न निकलने पर पानी भर जाने के लिए दिल्ली सरकार पर दोष डाल रहे हैं। जबकि भारी बारिश के बाद से पूरा उत्तर भारत परेशान है। उपराज्यपाल ने पिछले वित्तीय वर्ष फाइनेंस विभाग ने जल बोर्ड का फंड रोका। जल बोर्ड पर करीब 850 करोड़ की देनदारी है।



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