Yamunanagar गोशाला में तिल-तिल मर रहे गोवंश, एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे पंच-सरपंच – Cows Dying Mole By Mole In The Cowshed

गौशाला दामला में तड़पती गाय।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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यमुनानगर में दामला गोशाला में गोवंश तिल-तिल मर रहे हैं। हालत यह है कि उन्हें भरपेट खाने को भी नहीं नसीब हो रहा है। देखरेख और उपचार की सुध लेने वाला कोई नहीं है। इसके लिए जिम्मेदार पंच और सरपंच एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। रविवार को गोशाला के हालात का वीडियो वायरल होने के बाद ग्रामीणों में रोष है। उन्होंने प्रशासन से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
दामला गांव स्थित गोशाला का वायरल वीडियो ग्राम पंचायत और प्रशासन के साथ ही सामाजिक संस्थाओं पर भी सवाल खड़े कर रहा है। ग्रामीणों की ओर से रविवार को वायरल किए गए दो वीडियो में दिख रहा है कि गोशाला में बंधी गायों के बीच ही मृत गोवंश पड़े हैं। उठाए न जाने के कारण उन्हें कुत्तों ने नोच दिया है।
खाना न मिलने और देखभाल के अभाव में रोजाना गोशाला में गोवंशों की मौत हो रही है। इससे पहले जून माह में ग्राम पंचायत ने गोशाला की देखरेख के लिए एक बैठक बुलाई थी, जिसमें ग्राम सचिव और बीडीपीओ रादौर भी मौजूद थे। इसमें गोशाला को पट्टे पर देने को लेकर चर्चा की गई।
तब 20 में से 10 पंच गोशाला को स्वयं चलाने के पक्ष में तथा आठ पट्टे पर देने के पक्ष में थे। उस समय पंच मोहित ने कहा था वह और उसके 11 पंच साथी गोशाला को स्वयं चलाना चाहते हैं, लेकिन अब गोशाला की स्थिति और वायरल वीडियो गोवंश के दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है।
स्थिति यह है कि मृत गोवंशों को उठाने की भी जहमत नहीं उठाई जा रही। ग्राम पंचायत दामला के पंच पंकज, विकास कांबोज, दीपक ने बताया कि गोशाला में करीब 200 गाय हैं। यह गोशाला जिस जमीन पर है, वह पंचायत की है।
गोशाला का संचालन कर रहे पंच मोहित, पंच धर्मेंद्र, पंच गौरव, लवकेश, केशव दत्त, दिलबाग सिंह, सुनील ने बताया कि पंचायत की बैठक में मतदान से प्रस्ताव पास हुआ था कि 11 पंच गोशाला को चलाने के पक्ष में हैं। इसका मतलब यह हुआ कि ग्राम पंचायत दामला इस गोशाला का संचालन करेगी, परंतु सरपंच ने आज तक गोशाला के लिए एक रुपया नहीं दिया। उन्होंने अपने स्तर पर गोवंशों के लिए छह माह भूसे और हरे चारे का प्रबंध किया, लेकिन बारिश और बाढ़ के बाद चार-पांच दिनों से हरे चारे का संकट हो गया है।
सरपंच उन लोगों का साथ दे रही हैं जो इसे पट्टे पर देने के पक्ष में हैं, जबकि उनके पास बहुमत है। गोशाला में गायों का उपचार करने के लिए डॉक्टर तक नहीं आता। वह सूचना देने के दो दिन बाद आता है। तब तक गायों की मौत भी हो जाती है। गोशाला चलाने पर हर माह करीब दो लाख रुपये खर्च आता है। वह बिना किसी सरकारी मदद के गोशाला चला रहे हैं। मृत पशुओं को दबाने के लिए जो हड्डा रोडी की जगह थी, उसमें मृत गोवंशों को दबाने नहीं दिया जा रहा।
ग्राम पंचायत दामला की सरपंच गुरबख्शी के पति रामपाल का कहना है कि यह गोशाला ग्राम पंचायत के अंतर्गत नहीं है। ग्राम पंचायत की जो आमदनी है, उसमें से लाखों रुपये गोशाला चलाने के लिए नहीं दिया जा सकता है। जिन पंचों ने इसे चलाने की जिम्मेदारी ली है, अब वह अपने स्तर पर इसकी देखरेख करें। सरपंच गोशाला चलाने के पक्ष में नहीं है।
बीडीपीओ रादौर श्याम लाल शर्मा का कहना है कि गोशाला का केस हाई कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने कहा था कि इस गोशाला को पंचायत चलाए या फिर किसी एनजीओ के माध्यम से चलवाया जाए। पंचायत में प्रस्ताव पास हुआ था कि 11 पंच अपने स्तर पर इसका संचालन करेंगे। मामला कोर्ट में है, इसलिए इसे न तो बंद कर सकते हैं और न ही यहां से गाेवंशों को दूसरी गोशाला में शिफ्ट कर सकते हैं। गांव में पार्टी बाजी बहुत ज्यादा है। क्योंकि मामला गोवंश से जुड़ा है, इसलिए दोबारा इसे लेकर बैठक की जाएगी।

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